इस भौतिक संसार में अगर हम स्वयं का अच्छा चाहते हैं तो हमें स्वयं पहले दूसरो का भला करना होगा। सुख भोगने के लिए हमें पहले किसी के सुख का कारण बनना होगा। अगर हम खुद नेगेटिव है तो हम कैसे कुछ अच्छी सोच या अच्छा कर सकते हैं, इसके लिए अपने भीतर से नकारात्मक भावना को निकाल कर, ज्ञान की ज्योति को प्रज्जवलित करना होगा।
जिस प्रकार व्यापार में मुनाफ़े के लिए आपको अच्छा सामान और अच्छी सुविधा मिलती है, जिस प्रकार परिवार वालों का सहयोग प्राप्त करने के लिए उनका सम्मान व सेवा लागू होती है, केवल एक सफ़ल व्यापार या परिवार का निर्माण हो सकता है।
गुरू कभी नहीं चाहता कि उनके शिष्य, साधक जन्म-जन्मों तक अपने बुरे कर्मों के कुप्रभाव का फल भोगता रहे व अपना जीवन नारकीय अनुमान मे व्यतीत करें। गुरू तो चाहता है, दुःखों की समाप्ति व कुकर्मों का पश्चाताप करना व सामान्य व्यक्ति न मानते हुए एक पूर्ण शिष्य, साधक बनाना ही एक गुरु का दायित्व होता है।
सुख-दुःख तो सदा रहता है, पर गुरु के सानिध्य में दुःख जल्द ही समाप्त होता है व कष्टों से महिलाओं की स्थिति आ जाती है। वर्ष के इस अंतिम माह में आपके कष्टों का हरण हो जाने वाले वर्ष की घृणा का सभी में जोश व उत्साह अपने भीतर लाएं। आने वाले वर्ष में आप सभी के लिए नई आशा व सर्व सुखो से पूर्ण हो।
अपना
नवीन श्रीमाली
प्राप्त करना अनिवार्य है गुरु दीक्षा किसी भी साधना को करने या किसी अन्य दीक्षा लेने से पहले पूज्य गुरुदेव से। कृपया संपर्क करें कैलाश सिद्धाश्रम, जोधपुर पूज्य गुरुदेव के मार्गदर्शन से संपन्न कर सकते हैं - ईमेल , Whatsapp, फ़ोन or सन्देश भेजे अभिषेक-ऊर्जावान और मंत्र-पवित्र साधना सामग्री और आगे मार्गदर्शन प्राप्त करने के लिए,