उसी प्रकार योग अग्नि जो शरीर में व्याप्त सप्त चक्रो जाग्रित व क्रियाशील करने के लिये प्रजवलित होती है।
जब मानव अज्ञानी था तब वे अग्नि से भयभित रहते थे चाहे वह सूर्य कि अग्नि हो या जंगल में लगी आग, वही जब मानव में ज्ञान व ईश्वर्य शक्ति का बोध हुआ तो उसी अग्नि तत्व को स्वयं की भूख व रक्षा के लिये प्रयोग किया।
जिस प्रकार मन नियंत्रण के बाहर चले जाने पर विनाश की ओर ले जाता है उसी प्रकार अग्नि अनियंत्रित होने पर विनाशकारी हो जाती है।
हवन-यज्ञ के माध्यम से ही हम देवी देवता का आवाह्न करते है, यह सदियों से चले आने वाली प्रथा जब हम शत्रुओं पर विजय के लिये युद्ध से पूर्व हो या कोई संकट के निवारण के लिये हो या कोई वरदान प्राप्त करने हेतु अग्नि तत्व के माध्यम से ही करते है, इसीलिये हमारी संस्कृति से आरती के समय दीप प्रज्वलित करने का नियम है, एक सच्चे साधक को यह दीप केवल अपने घर आंगन में ही नहीं अपितु अपने मन में भी प्रज्वलित करना अनिवार्य है जो आपको सदैव नकारात्मकता से दूर व विजय श्री बनाएं रखेगा, व प्राण ऊर्जा तो आपके गुरू ने आपके अन्दर दीक्षा रूपी प्रदान कि है पर यह आप पर निर्भर करता है कि उसे आप कैसे क्रियाशील रखते है।
वही अग्नि तत्व को समर्पित अग्नि नक्षत्र पर्व इस वर्ष 04 मई से 28 मई तक मनाया जाएगा।
उस समय जब सूर्य सबसे तीव्र होता है इस समय भगवान मुरूगन -जो शिव-पार्वती पुत्र है उनकी आराधना करने से जटिल से जटिल रोग का निवारण साथ ही जीवन की दरिद्रता के विनाश के लिये कई प्रयोग व साधना की जाती है, जिसे करने से साधक का जीवन सुखी व सम्पन्न होता है यह 24 दिन का पर्व 04 मई से 28 मई को सम्पन्न होता है साधक इस समय कोई तीर्थ या आश्रम में रहकर साधना सम्पन्न कर सकते है।
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नवीन श्रीमाली
प्राप्त करना अनिवार्य है गुरु दीक्षा किसी भी साधना को करने या किसी अन्य दीक्षा लेने से पहले पूज्य गुरुदेव से। कृपया संपर्क करें कैलाश सिद्धाश्रम, जोधपुर पूज्य गुरुदेव के मार्गदर्शन से संपन्न कर सकते हैं - ईमेल , Whatsapp, फ़ोन or सन्देश भेजे अभिषेक-ऊर्जावान और मंत्र-पवित्र साधना सामग्री और आगे मार्गदर्शन प्राप्त करने के लिए,