समुद्र मंथन के समय महालक्ष्मी ने अवतरण उपरान्त भगवान नारायण का वरण किया। इसी प्रकार, हम हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष अमावस्या पर, दीपावली पूजन के समय अपनी भक्ति चेतन लक्ष्मी-नारायण को समर्पित करते हैं। ताकि हमारे जीवन की असुर रूपी बुराई, बुराईयां समाप्त हो जाएं। जिस प्रकार भगवान राम ने राक्षसों का अंत कर एक समृद्धशाली राज्य का निर्माण किया व अपने शौर्य और वैभव से जगत कल्याण किया, वैसे ही भगवान श्री कृष्ण ने कौरवो रूपी राक्षसो का अंत कर वे चौसठ कला युक्त चक्रधारी, पूर्ण पुरुषोत्तम युक्त योगेश्वर जगत गुरू बने ज्ञान व कर्म शक्ति चेतन का संचार किया, उसी प्रकार हम भी लक्ष्मी को आत्मसात कर पूर्ण व्यक्तित्व पौरूष से युक्त हो सकते हैं।
भगवान श्री राम-सीता के बिना पूर्ण नहीं, वही श्री कृष्ण राधा के बिना अपारदर्शी है, उसी प्रकार माँ लक्ष्मी ने भगवान विष्णु का वरण कर अपनी पूर्ण से युक्त किया। ताकि जगत का लक्ष्मीमय विस्तार हो सके। जीवन में माँ लक्ष्मी के अष्ट स्वरूपों को प्राप्त करने के लिए इस वर्ष विशेष योग बन रहा है। रूप सौन्दर्य चर्तुदशी व महालक्ष्मी युक्त दीपावली पर्व एक ही दिन में है, इस विशेष योग पर्व पर पूजा, साधना, अभिषेक, हवन की क्रिया कर जीवन को समृद्ध बनाने की चेतना से बढ़ो हो नाम।
इस श्रेष्ठ योग में कैलाश सिद्धाश्रम जोधपुर में भगवती लक्ष्मी व नारायण संदर्भ में पति-पत्नी श्रेष्ठ धन त्रयोदशी व दीपावली महोत्सव 13-14 को विशेष दो दिवसीय हवन व अभिषेक का आयोजन किया जा रहा है, जो सिर्फ जोड़े रूप में पंजीकरण कर ही आमन्त्रित है। इस विशेष साधनात्मक संकल्प, हवन का लाभ निर्धारण के लिए आप कैलाश सिद्धाश्रम जोधपुर संपर्क कर पंजीकरण कर ही इस शुभ अवसर पर आते हैं।
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