मैं आपकी स्थिति में और आकाश में सुदूर ऊंचाई पर उड़ने की कला प्रदान करता हूं।
मैं तुम्हारे सारे दुःख, दर्द, डैनी, अभाव, विषमता और दुःख मिटा दूंगा।
तुम हंस हो और मुझे अपना वादा याद है कि मैं इस मानसरोवर में गहरी पकड़ की कला सिखाता हूं।
और इसी दस्तावेज को प्लगइन के लिए मैं इस धारती पर आया हूं और आवाज दे रहा हूं देवता, अनुशासनात्मक पर्यावरण से अपने पास बुलाने के लिए जिससे मेरे द्वारा किया गया वादा पूरा हो सके।
तुम मूड हो, पगले हो, नासमझ हो, निरंतरता में बच्चों की तरह भोले हो।
ईश्वर का ज्ञान ही नहीं है कि साधना क्या है, बना तो गौशाला में हाथ डालकर मंत्र जपने को ही साधना समझ लिया है।
बगुले की तरह आंख बंद कर देने को ही ध्यान कहा है, कुंकुम चावल बिखेरने को ही अर्चना मान लिया है।
तुम अपने मन के नयन खोलो, सामने देखो तो——-स्वयं ब्रह्म, पूर्ण सशरीर दिखाई देंगे और इसी सजीव सप्राण चैतन्य ब्रह्म को निहारना ही अर्चना है, एकटक दृष्टि रहना ही ध्यान है, उन्हें लिपट जाना ही साधना है क्योंकि ब्रह्म को पा लेना ही तो साधना का अंतिम लक्ष्य है, और वह तो गुरु के रूप में आपके सामने खड़ा है।
प्राप्त करना अनिवार्य है गुरु दीक्षा किसी भी साधना को करने या किसी अन्य दीक्षा लेने से पहले पूज्य गुरुदेव से। कृपया संपर्क करें कैलाश सिद्धाश्रम, जोधपुर पूज्य गुरुदेव के मार्गदर्शन से संपन्न कर सकते हैं - ईमेल , Whatsapp, फ़ोन or सन्देश भेजे अभिषेक-ऊर्जावान और मंत्र-पवित्र साधना सामग्री और आगे मार्गदर्शन प्राप्त करने के लिए,