जो हमारे मूल है जैस प्रातः उठ धरती को प्रणाम करना, फिर सूर्य नमस्कार या योग करना, भगवान का आवाहन आदि, पूजन करना यह सब हमें शिष्ट बनाते है, जिससे हमारा मान-सम्मान बढ़ता है, व सामंजस्य (सद्भाव) के भाव को बढ़ते है व यह सभी हमे आदर्श व्यक्तित्व प्रदान करते है।
आप समाज के किस वर्ग से है, आप कितने शिक्षित है, आपकी आर्थिक स्थिति यह सब शून्य हो जाते है अगर आप शिष्टाचारी हो। शिष्टाचारी व्यक्ति का हर कोई प्रशंसक होता है और उनके शत्रु कोई भी नहीं होते जैसे डॉ। एपीजे कलाम, डॉ. मनमोहन सिंह। यह एक गुण व भाव अगर आप में हो तो दुनिया में हर कोई आपसे प्रभावित होंगे व आपका समर्थन करेंगे।
ऐसा बनने के लिये विशेष कुछ नहीं करना बस हमारी संस्कृति के मूल आर्दश, मान का पालन करना है, मूलभूत (मूल) चीजें जैसे एक जगह बैठे मनन, ध्यान, पूजा करना, एक जगह बैठ भोजन करना, हर किसी का सम्मान करना, स्वयं व अपने आस-पास को साफ सुथरा रखना, एक साथ बैठ खाना खाना, विनम्र (विनम्र) कृतज्ञ (आभारी) रहना, यह सब छोटी-छोटी चीजें करने से आप महान व्यक्तित्व के धनी व शिष्ट बनोगे।
प्राप्त करना अनिवार्य है गुरु दीक्षा किसी भी साधना को करने या किसी अन्य दीक्षा लेने से पहले पूज्य गुरुदेव से। कृपया संपर्क करें कैलाश सिद्धाश्रम, जोधपुर पूज्य गुरुदेव के मार्गदर्शन से संपन्न कर सकते हैं - ईमेल , Whatsapp, फ़ोन or सन्देश भेजे अभिषेक-ऊर्जावान और मंत्र-पवित्र साधना सामग्री और आगे मार्गदर्शन प्राप्त करने के लिए,