कोई साधना में सिद्धि प्राप्त करना इतना कठिन काम नहीं है। एक सामान्य व्यक्ति भी कर सकता है। कठिन परिश्रम है समर्पण, पूर्ण विश्वास और आस्था अपने मन में पैदा करना।
गुरु हर क्षण देने के लिए तैयार रहने की आवश्यकता है कि आप उन्हें बढ़ाएँ। सागर आप तक चलकर नहीं आयेगा, आप ही तक चलेंगे कर जाएँगे और इसमें शामिल होने से अनुच्छेद हटेंगे।
सागर कभी मना नहीं करता कि पर्ल मत निकालो, गुरु भी अपना ज्ञान प्रदान करने के लिए कभी मना नहीं करता। मगर तभी प्राप्त होगा जब आप उस तक पहुंचेंगे, जब आपको विश्वास होगा कि हां इसके पास कुछ है। आस्था और विश्वास ही साधनाओं में सफलता की कुंजी है।
सद्गुरू एक सूर्य के समान, एक दीपक के समान शिष्य के जीवन में प्रवेश करता है जिससे शिष्य का मोह, अज्ञान, वासना रूपी अज्ञान समाप्त हो जाता है तथा वह उच्च आध्यात्मिकता एवं श्रेष्ठता के मार्ग पर निर्धारण करने के लिए पर्याप्त हो जाता है।
शिष्य गुरू से एकाकार होता है। शिष्य पर अंतत: यह होता है कि वह आपको पूर्ण रूप से समर्पित करता है या अधूरा करता है।
प्रेम कथापत्र है ईश्वर और जब तक प्रेम के रस में भीगोगे नहीं, ईश्वर की प्राप्ति नहीं हो सकती है, गुरुदेव से साक्षात्कार नहीं हो सकता है और यह अंदर उतरकर प्रभु से साक्षात्कार करने की क्रिया हो तो प्रेम है। प्रेम को पाने के लिए हृदय पक्ष को जाग्रत करना ही पडेगा।
गुरू चेतन का पुंज है, एक चेतन का स्रोत है, एक चेतन का सागर है। जब आप उसके निरतंर संपर्क में रहते हैं तो धीरे-धीरे वही ध्यान रखते हैं जिससे आप में भी व्यापकता दिखने लगती है। उससे जुड़कर आपका भी स्फूर्तिदायक और दिव्य हो जाता है।
प्राप्त करना अनिवार्य है गुरु दीक्षा किसी भी साधना को करने या किसी अन्य दीक्षा लेने से पहले पूज्य गुरुदेव से। कृपया संपर्क करें कैलाश सिद्धाश्रम, जोधपुर पूज्य गुरुदेव के मार्गदर्शन से संपन्न कर सकते हैं - ईमेल , Whatsapp, फ़ोन or सन्देश भेजे अभिषेक-ऊर्जावान और मंत्र-पवित्र साधना सामग्री और आगे मार्गदर्शन प्राप्त करने के लिए,