तूं ऊंचा तो उड़, पर झूल को बोजिल मत होने दे, आकाश में उड़ान तो भर, पर नीचे जमीन की गंदी घिनौनी चीजों पर दृष्टि मत जमा, क्योंकि तुम्हारे चारों ओर परिवार रूपी कूड़ा-करकटबीर पड़ा है, इस पर दृष्टि झलकती है, तो मेरा सारा किया गया फर्जीवाड़े चला जाएगा।
जीवन का एक ही लक्ष्य है - 'सारे काम छोड़ कर मुझमें लीन हो जा'।
जीवन के सभी प्रकार के पाप चाहे वर्तमान जीवन के हों, चाहे पूर्व जीवन के हों केवल गुरु के चरणों का ध्यान करने से ही वे सभी पाप समाप्त हो जाते हैं।
गुरु-कृपा होते हुए ही शिष्य की आत्मा पूर्णरूप से ब्रह्म स्वरूप बन जाता है और उसका जीवन सार्थक एवं धान्य हो जाता है। देवता भी इस प्रकार की कृपा प्राप्ति के लिए लालायित रहते हैं।
काशी में निवास करने से और भगवान शिव की पूजा करने से जो प्राप्त होता है, गंगा में स्नान करने से और गंगा का जल पीने से जो सिद्धि और सफ़लता प्राप्त होती है, ब्रह्मा, विष्णु और महेश की सेवा और साधन करने से जो फल प्राप्त होता है, वह सब कुछ केवल गुरु के चरणोदक का पान करने से केवल प्राप्त हो जाता है।
गुरु का अर्थ है अंधाकार को समाप्त कर ज्ञान का दीपक प्रज्वलित करना। शिष्य के अज्ञान को समाप्त करने वाला यह गुरुत्व ब्रह्म से भिन्न नहीं है।
गुरु ही शिष्य के बाहरी और अभ्यान्तर परिवर्तन करने का एकमात्र सूत्र है।
प्राप्त करना अनिवार्य है गुरु दीक्षा किसी भी साधना को करने या किसी अन्य दीक्षा लेने से पहले पूज्य गुरुदेव से। कृपया संपर्क करें कैलाश सिद्धाश्रम, जोधपुर पूज्य गुरुदेव के मार्गदर्शन से संपन्न कर सकते हैं - ईमेल , Whatsapp, फ़ोन or सन्देश भेजे अभिषेक-ऊर्जावान और मंत्र-पवित्र साधना सामग्री और आगे मार्गदर्शन प्राप्त करने के लिए,