लोग तो खुद को भभूत देते हैं, स्पष्ट करते हैं, ताबीज और न जाने क्या-क्या हैं पर मैं मौत देता हूं क्योंकि मैं लीक से हट कर चलता हूं, विद्रोह मेरा स्वभाव है, रूढ़ियों पर प्रहार करना मेरी नियति है, पाखण्ड और ढ़ोंग पर निर्ममता करना मेरा जीवन है।
तुम्हारा पाखण्ड, तुम संशय बोध, दृष्टि, तुम न्यूता, दृष्टि दृष्टि और तुम निर्लज्जता को नष्ट कर देते हो।
मैं मर जाता हूं कि जो कुछ काम कूड़ा-करकट उसके दिमाग में भर देता है, वह जल जाय, जो कुछ संशय की क्षमता रखने वाले हैं वे भरभरा कर गिर जांय, जो कुछ कंकर पत्थरों को चुनकर दिखाते हैं वे हट जाय।
आपके चित्त पर, मन पर, हृदय पर जो कुछ स्याह है, कालापन है वह शुरू हो जाय, आज तक तुम जो सड़क गलीच थे वह मर जाई, फिर मैं नई आंखों से निगाहों का निर्माण, देवदूत की तरह, अनोखे मानव की तरह , दुर्लभ शिष्य की तरह।
मैं प्राणता और जीवनता भरना चाहता हूं, उन्हें आफ़ताब बनाना चाहता हूं, उनमें से वे सूर्य की तरह संपूर्ण पृथ्वी के अंधोरे को दूर कर सकते हैं।
उत्तराधिकार में प्रहार करने की कला सिखाना चाहता हूं कि ढ़ोंगियों, पखण्डियों और आलोचकों पर वज्र की तरह प्रहार कर सक्षम, कड़वा का जवाब दे सक्षम और फ़ुफुकारती आंखों को नोच कर फ़ेंक सक्षम।
उत्तराधिका में चाहता हूं प्रेम—– कि वे दग्धा हृदयों पर फुहार बन सकते हैं, जलते हरियाली का दौड़ बन योग्य, बिलखते शाकाहारी आंसुओं की हंसी बन पर्याप्त, छटपटाते पीते प्राणों की संजीवनी बन जाते हैं।
प्राप्त करना अनिवार्य है गुरु दीक्षा किसी भी साधना को करने या किसी अन्य दीक्षा लेने से पहले पूज्य गुरुदेव से। कृपया संपर्क करें कैलाश सिद्धाश्रम, जोधपुर पूज्य गुरुदेव के मार्गदर्शन से संपन्न कर सकते हैं - ईमेल , Whatsapp, फ़ोन or सन्देश भेजे अभिषेक-ऊर्जावान और मंत्र-पवित्र साधना सामग्री और आगे मार्गदर्शन प्राप्त करने के लिए,