जब लक्ष्मी की संपूर्णता को अपने जीवन में समाहित करने की बात आती है, तो वहां स्वतः ही अष्ट लक्ष्मी का नाम उभर कर सामने आता है। अष्ट लक्ष्मी की स्त्री अपने आप में इस प्रकार से संपूर्णता का पर्याय बन चुकी है कि प्रत्येक चेतन्य साधक अपने जीवन में अपने चेतन को स्थायी रूप से प्राप्त करना चाहता है। अष्ट लक्ष्मी का रहस्य केवल यही तक सीमित नहीं है। अष्ट लक्ष्मी अपनी-आप में आठ प्रकार के ऐश्वर्य को तो समाहित करती ही है, साथ ही ये लक्ष्मी के आठ महत्वपूर्ण प्रखर स्वरूपों- द्विभुजा लक्ष्मी, गज लक्ष्मी, महालक्ष्मी, श्री देवी, वीर लक्ष्मी, द्विभुजा वीर लक्ष्मी, अष्ट बंधन वीर लक्ष्मी एवं लक्ष्मी के शामिल रूपों का संसाधन भी है, जिनमें से प्रत्येक स्वरूप का विशेष वरीय प्रभाव भी है।
सूर्य ग्रहण के प्रबल चेतनमय काल में ऐसी दिव्य ओजस्वी दीक्षा ग्रहण कर निश्चय ही आप अपने जीवन में अष्ट लक्ष्मीयों की चेतन से युक्त होंगे। साथ ही धन-धान्य की मार्केटिंग मात्र से युक्त साधक के जीवन में धन के रूप में अभावों को पूरी से समाप्त कर देता है। सूर्य ग्रहण के दिव्य संयोग पर अष्ट लक्ष्मी दीक्षा ग्रहण करते हैं जिससे जीवन में सर्व कामनाएं युक्त व सभी सुखों से आपलावित बन सकें।
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