जहां तक शरीर का प्रश्न है, सभी व्यक्तियों में किसी प्रकार का विशेष भेद नहीं होता। शरीर की संरचना, शरीर की शक्ति आदि का निर्माण वैज्ञानिक दृष्टि से समान रूप से होता है। उचित आहार के प्रभाव से कुछ व्यक्ति निर्बल हो जाते हैं। किसी को कोई शारीरिक व्याधि हो जाती है, जिससे उसके शरीर में निर्बलता आ जाती है। यह शरीर की एक सामान्य प्रक्रिया है और सही दृष्टि से देखा जाए तो यह कोई विशेष बात नहीं है।
व्यक्ति पुरुष हो या स्त्री, महान कैसे बन जाता है? कौन से गुण हैं? जिसके कारण वह अन्य की अपेक्षाकृत ऊपर उठ जाता है, यह ध्यान देने की आवश्यकता है कि व्यक्ति के रूप में बल या शक्ति से महान नहीं होता है। महान इस कारण से कि वह जो कार्य करता है जो बात करता है तो उसके व्यक्तित्व का प्रभाव लाखों-करोड़ों लोगों पर पड़ता है। वह यही शक्ति है जिसे आत्मशक्ति कहते हैं। जब यह व्यक्ति के शरीर में नहीं होता है तो इस कारण से वह एक सामान्य व्यक्ति का जीवन जीता है जबकि यदि उसकी आत्मशक्ति जाग्रत हो जाए तो भौतिक एवं आध्यात्मिक दोनों ही क्षेत्रों में अपार सफलता प्राप्त हो सकती है।
भविष्यवाणी के अनुसार, यह सफल होने के लिए तय होगा। मन को स्वस्थ रखने के लिए, यह पूरी तरह से परिपूर्ण होने तक पूरी तरह से परिपूर्ण हो जाएगा, इसलिए संतप्त होने योग्य स्थिति है। शीतलता के साथ-साथ शीतलता भी शीतलता और ऊष्णतानो है।
यह सब सर्व सम्मोहन की क्रिया के माध्यम से संभव हो पाता है और इस सर्व सम्मोहन की शक्ति को आत्मसात करने के लिए गुरु से आपकी आवश्यकता है। गुरु की दिव्य क्रिया का भाव चितं दीक्षा ही है। सर्व सम्मोहन दीक्षा के माध्यम से साधक प्रत्यक्ष वस्तुओं को अपनी अनुकूल करने की क्षमता प्राप्त कर लेता है और साधनों में निश्चिन्त रूप से पूर्ण का भाव आता है।
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