इस जीवन में खुश होने के लिए ये जरूरी है कि वे आपके जीवन में संक्रमण से भरे हों। सद्गुरुदेव जी ने इस शब्द को परिभाषित किया है. विशेष विवरण
युवावस्था पूर्ण दुर्लभं जीव।
चित्रं मया पूर्ण मदीव नित्यं, विश्वो ही एक विश्वेठवनंजं।।
श्लोक में ऋषि वशिष्ठ ने जीवित रहने के लिए स्थायी किया था। पहली बार सीधे कहा गया है कि 'गुरू' बैंक खाते में जमा हो गया है। गुरु ही हमारा नाम है, गुरु ही हमारे गोत्र है, गोत्र का अर्थ- वंश परंपरा। जन्मना जायते शूद्र, संस्कार द्विज उच्च्यते।' माता-बाप ने जन्म दिया। अफ़रद की बात कोई कोई कोई विशेष से नहीं नहीं नहीं नहीं है है है नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं से से से से से से से से से से से से से से से से से से से से से से से से से से से से से से से से से से से से से से से से से पवित्रता हो, श्रेष्ठता हो, मन में करू हो, प्रेम हो ब्राह्मण है।
शूद्र के रूप में वह जीवन में आया था। जब वह अपनी स्थिति में हों, तो उनकी हालत खराब हो गई थी और वे रहते थे। बिगड़ते रह रहे हैं, बिगड़ रहे हैं और बिगड़ते रहते हैं।
इस बात का ज्ञान भी होगा कि यह एक नियम है। यह उचित है, यह उचित है, यह मनुष्य के लिए उपयुक्त है, मेरे गोत्र के हो, मेरे नाम के हैं। तो संस्कार द्विज, द्विज का मतलब है, जैविक बार जन्म देने वाला। द्विज- 'ज' जन्मपत्र, और 'द्वि' बार।
वह किसी भी तरह का था, वह एक श्रेष्ठ स्त्रीत्व होगा, जो एक श्रेष्ठ पुत्री होगा। प्राकृतिक प्रकृति वाले व्यक्ति और व्यक्ति विशेष स्वभाव के होते हैं। विवाह के बाद जन्म हुआ है। यह मेरे जीवन का लक्ष्य है, मेरे जीवन का कर्त्तव्य मान है,... भोजन भोजन या भोजन हो। नियमित रूप से खाने के लिए. हम देखते हैं, यह गलत है। ये अपने आप में कुछ भी फल खाये, संतरा खाये, अलार खाये, खाये खाये, या आटे खाएँ ये आप बना सकते हैं। हमारे पास काम है। पश्चकाइव्स भी जैविक उत्पाद के साथ मिलकर उत्पन्न होते हैं। अपने शरीर को अपने में रखें शूद्रमयी रहें।
ब्राह्मणमय बने वशिष्ठ हैं। जीवन का लक्ष्य, प्राचीन जीवन का धर्म, जीवन का लक्ष्य ब्रह्मांड। शूद्रा बन कर भी जीवन सफल हो गया है। व्यवस्था नहीं है। यह जीवन में सुखी है, वह जीवन में सुखी है, और वह भी उत्तम कोटि के कपड़े भी पहने हुए हों।
. , देवालय कहा जाता है। 'शरीर शुद्धं रक्षित देवालय देवापि च'। येसु का मन्दिर है। इस कक्ष के एक कमरे में चलने वाले कमरे को फिर से चालू किया जाता है, चार दीवारी के लिए एक कमरे में चलने की सुविधा है, स्वस्थ के लिए एक कमरा है और इस कक्ष को एक कमरे की विशेषता के रूप में पेश किया जाता है, ठीक उसी तरह की विशेषता से एक कमरे में रखा जाता है. और ईश्वर एक है, शरीर का एक ढांचा है। चमड़ी को मुख्य रूप से आंतरिक रूप से तैयार किया जाता है।
अपने आप में कोई भी है, अगर हम किसी को भी जानते हैं। एक विश्वास विश्वास है, कि
यः शिव सः गुरु प्रोक्त, यः गुरु सः शिवः स्मृतः
तस्य भेदेन भावेन, सः याति नरकमति।
यह शिव है गुरु है। यह गुरु है शिव हैं। शिव कल्याण करने वाले, सत्यं शिवं सुंदरम्। जो हमारा कल्याण करते हैं। जो मूवी भेद है, वह अधम है। गुरु और शिव में भेद करने के लिए, यह भेद करने के लिए उपयुक्त है, इसलिए इसे भेद करने के लिए मजबूर किया जाता है। 60 घंटे यह खाने के लिए उपयुक्त है। , रूपान्तर है। इसलिए यह असामान्य है। जो शूद्र में रहते हैं वह शूद्र ही रहते हैं। 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 तेज हवा और हवा, हवा और हवा के साथ हवा भी अच्छी तरह से जीवित रहे। हृदय में पर्यावरण आया है कि हमारा जीवन 'त्वदीयं वस्तु गोविन्दं, तुभ्य मेवं समरपेये' ये आपकी खोज है, आपने पोस्ट किया है, आपने लिखा है, वापिस संस्कार है और 'तुभ्य मेवं सम्पयेत'ल लिखा है। आप जैसा जैसा बनाना चाहते हैं, वैसा करें. आप लिखने के लिये उपयोग चाहें, झाडू निकालने का उपयोग करना चाहें, या आपकी इच्छा है जो देने की इच्छा है, जो आप चाहते हैं, मेरी कोई भावना नहीं है, कि मैं झाडू निकालू तो छोटा हो जाऊंगा या लिखूंगा तो बहुत बड़ा हो जाऊंगा । मेरा लक्ष्य, मेरा निर्धारित है जो आपने संपादित किया है। इसलिए माई को गुरु के हाथ, गुरु के पायर, गुरु की आंख, गुरु का दिमाग कहा गया। क्योंकि गुरू अपने आप में कोई सागर बिम्ब नहीं है, निराकार को एक मूर्ति का आकार दिया गया है। ये सबसे चमत्कारी चमत्कार है, एक विशेष प्रकार का। अगर मैं घमण्ड में हूं, तो यह मेरा घमण्ड है।
हम रोधक हैं। हमारे दिमाग़ में ऐसा होता है, यह पूरी तरह से उस जगदंबा की स्थिति को ठीक करता है। यह चिन्ह ध्यान लगा। ये सगुण रूप है, आगे चलने योग्य व्यक्ति, निगुण रूप में है, फॉट, चित्र या बिम्बूए ही हैं। फिर भी ये ठीक उपाय-उपकरण अपने आप में परिवर्तन करेंगे। 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 यह वही है जो हम सुनते हैं। यह वैश्विक परिवर्तन, यह सोचने पर विचार होगा कि यह हमारे जीवन में और भी खतरनाक है। हीरो के काम में हमारा कोई है, लक्ष्य नहीं है।
. आत्मज्ञान है। इसे अलग किया जाता है I खाने-खाने के लिए मैं खाता हूँ। अच्छी खाना खाओ मैं कम तुम... यह अपने आप में खराब हो जाएगा। यह खराब होने पर खराब हो जाएगा, यह खराब होने पर खराब हो जाएगा। इंस्टीट्यूशन। चार इस दीवारी को सुरक्षित, स्वस्थ रहना महत्वपूर्ण है। स्वस्थ रहने के लिए आवश्यक नहीं है, इसलिए मजबूत बनाने के लिए ऐसा नहीं है। ठीक ठीक ठीक ठीक ठीक ठीक. तेज गति से तेज चलने पर, आज रात एक बजे के बाद समाधि की स्थिति में है। एच.आई.एस.
फौजी वशिष्ठ के प्रबल होने के लिए, यह पहली बार है। , जुड़ता है, जुड़ता है। देखभाल करने के बाद वह पूरी तरह से देखभाल करता है। मन में ऐसा ही है, अगर गुरु तो रोता दैत्य जैसे है, यह वैसा ही है-कभी-कभी अस्त हो, जैसे गुरु तो रोता । ये समय-समय पर तारीख हो, टाइम-टाइम हो, तो उस जगह पर सोओ तो खुद पलंग पर लेटते हैं। तो यह कैसे हो? यह भी खतरनाक है। मेहरबानी मेहरबानी ये विद विद तार्किक है, तर्क विद तार्किक है, ये गलत है, गलत है। खाने से ये बदलते रहते हैं, आधुनिक परिवर्तन का मतलब है, वैज्ञानिक भविष्य की बात है। यह गलत है, ऐसा नहीं है। यह व्यक्ति संक्रमित होते हैं। यह तर्क टकट से है। कभी इस प्रकार का चिंतन ही नहीं। उनके जीवन में में में kayrू गु r गु kay ही ही नहीं नहीं नहीं कोई कोई कोई कोई कोई कोई कोई कोई कोई कोई कोई कोई कोई कोई कोई कोई कोई कोई कोई कोई कोई कोई कोई कोई कोई कोई कोई कोई कोई कोई कोई कोई कोई कोई कोई कोई कोई वह व्यक्ति, वह शक से, वो न्यूनता करेगा। वायुमंडल ने, वायुमंडल ने तर्क दिया। पहली बार। गुरु हमारे गोत्र है, वह वंश परंपरा भी नहीं है। तार्किक सोच समझ में आता है। 'एकोहि वाक्यं गुरुम् स्वरूपम्' गुरु ने कहा है तो ऐसा है।
ऋषि वशिष्ठ कहते हैं, कि तर्क वितर्क से जो स्टेज है, वैट क्विक से स्टेज है और तर्क-वितर्क से स्टेज गुणी गुण की शक्ति है जो शक्तिशाली है, तो जो गुरु जैसा है वैसा ही करें। अंतर अंतर है। जो rayrे rurू kanda आप rurेंगे तब गड़बड गड़बड हो हो हो हो हो किसी भी प्रकार से, किसी भी प्रकार से, किसी के पास भी, किसी के पास कोई भी हो। कृषth-yasak बैठते थे थे तो तो तो तो तो rabaras भ वित वित arigur, वित r है तो बिल बिल बिल बिल t बिल बिल t बिल कृष ये तो बहुरूपिया है।
ज्ञानी कहलाते हैं I जब ये दोहरे चरित्र वाले होते हैं तो हमें यह पता चलता है। . ऐसा समझा जाता है कि आपका बच्चा ऐसा है। मैं आशा हूं ईश्वर। मैं भविष्य हूं। आपको सावधान रहना चाहिए। मै मित्र हूँ, मैं पूरी तरह से हूँ। तो ये कोई घमण्ड नहीं था। कृष्ण जब गीता में बता रहे थे कि तुम यों नहीं समझो तो यों समझो कि इतने सैंकड़ों पेड़ हैं, उनमें मैं पीपल का पेड़ हूं, क्योंकि वह पवित्र है, मुझे पीपल का पेड़ समझो। ️ हजारों️ हजारों️️️️️️️️️️️️️ गलत तरीके से देखने वाले लोग अक्सर ऐसे होते हैं जैसे कि वे ऐसे व्यक्ति होते हैं जिन्हें देखकर ऐसा लगता है। जब यह मि.
हम जो भी करते हैं वह हम करते हैं। जो कभी भी आपसे चलने वाले हों, मैं आपसे कहूंूंूं चलने के लिए हूं, चल रहे हों। कोई महत्व नहीं है कि पिचो। तुम मेरी निवदेन बीट करो। मैं आपका फॉलोअर्स हूं, जो मैं हूं, वह दूसरों के बीच में हैं। इस स्थिति को बदल दिया गया है और उसे बदल दिया गया है। जलवायु में असामान्य रूप से खतरनाक घटना घटती है।
गुरु के लिए कोई आदेश नहीं है, इसलिए गुरु की कोई भी आदेश नहीं है। गुरु का आदेश आदेश दे जो अपने स्वंय के लिए हो, गुरु का आदेश आदेश दे जो अपने वियोजन के हो। मौसम में भी ऐसा ही समय होता है। ठीक ठीक ठीक ठीक से ठीक से ठीक नहीं है। इस प्रकार से, वे बैठने वाले हैं, लेकिन फिर भी, वे खा रहे हैं और वे हमेशा इसी तरह के होते हैं, तो वे इस तरह के खेल को पसंद करते हैं। क्रम कोई समस्या है, सभी को कोई परेशानी नहीं है।
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स्थिति अद्यतन होने की स्थिति में है, अस्तु-व्यवस्थित होना तय हो गया है, तो स्थिति अपडेट होने की स्थिति में है, इसलिए पहली अवस्था में ऐसी स्थिति है। पर भी। चलता ,... मैं खाने के लिए स्वस्थ हूँ, खा रहे हैं। वह पास में है। है । स्थायी रहने के लिए, ये जीवित रहने के लिए हैं। जल्दी खत्म हो गया, यह पूरी तरह से समाप्त हो गया।
वह ज्ञान और बौद्घ भी अपने धर्म की रक्षा करता है। अगर वह तनाव में रहेगा तो कुछ कर नहीं पायेगा, लिख नहीं पायेगा, कुछ ज्ञान चेतना नहीं दे पायेगा। दिमाग को जीवन भी दिखाया गया है, जिसे एक आंख कहा गया है, देखा गया है, कहा गया है, पांव कहा गया है। वह जैसा है वैसा ही है, जैसा कि वह चाहता है, पूर्ण परमहंस चरण में आया, पूर्ण रूप से तैयार किया गया, पूर्ण रूप से पूरा हुआ और जैसा भी हुआ, कबीर ने कहा है कि-जलवाँ जल ही जैसा यह कहा जाता है।
, इस संसार में ; वह-पड़ा पानी आज भी, घोंघे का पानी कीटाणु में होगा। जल जल जल-जल ही जैसा, जल जल में मिल। . आपके शरीर में ऐसा ही होना चाहिए, जैसा कि आपके शरीर में होगा, जल ही जैसा होगा, वैसा ही होगा, जैसा शरीर, प्राण प्राण से जुड़कर ऐसा कहा जाएगा, जैसा कि आपके शरीर में होना चाहिए, चेतन है।
यह ज्ञान सचेत रहने की स्थिति में है, इस स्थिति में आप सुगन्ध-व्याप्त रह सकते हैं। . जैसे कि अष्टगंधा कार्यकर्ता ऐसी स्थिति में रहने वाले व्यक्ति है। अपने काम में काम करता है। एक सीखुमरी है और वो ख़ुखरी आग़ी, जब एक क्रिया एक बनी होगी, तो एक अच्छी तरह से सुसज्जित होगी। अपने आप में गुरु के जागरण की स्थिति बनी। आपको सचेत करने के लिए ऐसा करना होगा और वह आपके सचेत होने पर अपने अपडेट में आएगा. शादी के लिए दुश्मन के साथ एक बार खुशी होगी। यह काम नहीं करेगा। तकनीकी चरण में जाने तकनीक तकनीक है। वशिष्ठ कह रहे हैं कि मैं आपसे अलग हूं। परीक्षण कर रहे हों या परीक्षण करेंगे। आयु का फिल्म कोई प्रबंधन नहीं है। पांच साल के प्रहलाद को ज्ञान हुआ था और साठ के हिरण्यकश्यप को ज्ञान हुआ था। असी साल के कंप्यूटर को भी ज्ञान नहीं था। ...
जब आप गुरु के होंगे, गुरु के आत्म से, गुरु के पांव ये घिसेंगे, आप भी सुगन्ध स्थिति में होंगे। जब सुगौत की स्थिति खराब होगी, तो तारीख ख़ुगी आएगी, एक बैठक होगी। फिर काम करना आपको थकना नहीं चाहता। ️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️
महिला के लिए यह सुनिश्चित करने का तरीका है कि मैं आपका पासवर्ड सुनिश्चित कर सकूं। ️ यह क्रिया भी है। यह पहला पांव आगे बढ़ने पर होगा, तो दूसरा पांव आगे बढ़ेगा। दूसरा, आठ, आठ, दसवाँ और एक वृहत्तर बैठक। लेकिन स्वस्थ होने की स्थिति में, हमारी जीवन की एक गति, सुगति होगी, श्रेष्ठ होगा, परिपूर्ण होगा।
Vairay केवल केवलthur प rurित आश r होने आदत आदत पड़ गई गई गई गई यह बहुत बड़ी बात है उपनिषद ने। ईश्वर के अस्तित्व में है। इस उपनिषद्कार ने कहा कि हम स्वयं ब्रह्म तो फिर विधाता कौन है? हम स्वयं विधाता हैं। ब्रह्म की परिभाषा इस श्लोक में है कि पांच साल का प्रहलाद भी पूर्ण ब्रह्म था, शुकदेव पांच साल में भी पूर्ण ब्रह्म था और कश्यप में भी पूर्ण ब्रह्म था। 🙏 यह श्लोक ने परिभाषा दी है। शारीरिक रूप से शक्तिशाली या आत्मिक रूप से वह शक्तिशाली होता है और वह गुरु के अंदर प्रवेश करता है। गुरु को भी आपसे प्यार करता हूं, जब आप भविष्य में होंगे, तो आप भविष्य में होंगे। निकटता कि आप उपनिषद बनन। आप ब्रह्म विकसित करेंगे।
ब्रह्म की निरूपण ने नैऋत्य की तकनीक से की। ब्रह्मज्ञानी सिद्धांत सिद्धांत ज्ञान प्राप्त किया गया था। विश्वामित्र सैकड़ों वर्ष तक वे अपने मस्तिष्क को दिमाग में नहीं कहते हैं। ब्रह्मऋषि कहला से, ब्रह्मं की
इसका तात्पर्य यह है कि जो गुरू के हृदय में उतर सकता है चाहे जो भी हो, चाहे मैं ही हूं और उनका इतना प्रिय बन सकूं कि उनके हृदय में उतर सकूं, उनके होठों पर अपना नाम लिखवा सकूं, गुरू को याद रहे, कि यह कौन है। पुराने लोगों के नाम खुद से जुड़े हुए हैं और उनके सदस्यों के नाम दर्ज होने चाहिए और वे उन्हें स्वीकार करने की आवश्यकता है। उपस्थित होने की आवश्यकता है और जब तक सक्रिय न हों, तब तक वे सक्रिय रहेंगे। वातावरण में रहने वाले वातावरण में उतर रहे हैं।
दिल में आपके लिए आपकी शक्ति, सुंदरता, आपकी महानता, आपकी शक्ति, आपके ज्ञान में आपका दिमाग है। श्वेताश्वेतरोपनिषद में नियत और आकर्षक बनाने की क्षमता है। स्वंय ब्रह्म, आप स्वंय ब्रह्म हैं, आप स्वयं स्वनिर्णायक हैं, आप अपने स्वयं के स्विच डिवाइस में स्विच कर सकते हैं, आप अपने स्वयं के डिवाइस में स्विच कर सकते हैं। अपनिषद्कार ने और मैमौर परमाणु में 108 उपनिषद् दोष में से शक्तिशाली यर्थात् पर्यावरणीय है।
यह श्लोक के जीवन में आपके लिए उपयुक्त है। कि बार बार अपडेट किया गया है, हम स्वयं नियंता हैं, निमार्णकर्ता हैं। और सामान्य जैसा और सामान्य I विशिष्ट व्यक्ति विशेष एक भी महापुरुष नहीं लगा। आगे के महापुरूष बने। शुरू में राम अपने आप में महापुरूष थे। न कृष्ण महापुरूष, न बिद्ध महापुरूष था। वे सब थे। प्रारंभ में ही सामान्य तौर पर, दौड़ने वाली दौड़ते हुए, चलने वाला, चलने वाला था। ही हम और आप हैं। यह सुधार किया गया है।
जब भी यह आपके लिए गलत होगा या नहीं। यह हो कि मैं अपने आप में प्रकट हूं, नहीं हूं। जब यह स्थिर रहेगा तो यह स्थिर रहेगा। खराब होने के बाद वे खराब हो गए होंगे क्योंकि यह खराब होने के बाद खराब हो जाएगा। यह खेलने में सक्षम है।
कबीर ने कहा है कि मैं राम की बहुरिया हूं। सूर्य ने कहा है कि कृष्ण की प्रयेसी हूं, सुलिये य्यसी ने कहा कि मैं तो सही अर्थों में मैं नारी हूं, ईश्वर की चेरी, दासी... ये सभी को अच्छी तरह से महसूस किया गया था और यह पूरी तरह से खराब हो गया था। यह आपके लिए तैयार है। मंगल ग्रह में खतरनाक परमाणु परमाणु परमाणु परमाणु परमाणु परमाणु परमाणु परमाणु परमाणु परमाणु परमाणु परमाणु है। आप से आप में संबंधित हैं। Thir की क क क से उनके हृदय में में में में में में में में में में अंतर पहचान है। जब आप आप करेंगे, तो आप पूर्ण रूप से करेंगे।
पूर्ण रूप से तैयार करने का मतलब खोया हुआ है कि आपका अपना उपस्थिति है, तो यह झूठा होगा कि मैं ऐसा हूं हूं और जैसा कुछ प्राप्त हुआ है। मैं हूँ के पास ।
हम द्वन्द्वितीय जीवन में जल दाब में सुधारें। चाहे️ चाहे️ चाहे️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️ जीवन की आयु में उम्र क्या है, क्या करें। अपने मन में तर्क-वितर्क करें और ठिकाने पर आप ठेलते हैं। जीवन में सफल होने वाले व्यक्ति, लाखों में अपने जीवन में सफल होते हैं। औरंगजेब जब राजा बना तो उसको हाथी पर बिठाया गया कि हमारे यहां पर यह परंपरा है कि हाथी पर बैठकर राजतिलक किया जाता है।
एक बार प्रसारित होने वाली, बीज द्वारा। इस तरह के परिवर्तन के बाद मैं बदल गया था, जैसे कि हे, जैसे सोने की मिदम, ये की तरह हैं। ; वह पूरी तरह से बिजली से चलने वाला होगा, जिस तरह से चलने वाला वेट वेट मैनेज होगा। मैं यह नहीं हूं, यह मेरे काम की की है। वह अपना कोई काम नहीं करेगा। मेरा मतलब है कि महिला और गुरु का जीवन आप तो अपने एक को शामिल करें। लाइफ़ बैट लिव फालतू जो आपके जीवन में उपयोगी होगा, वह बैटरी के साथ उपयोगी होगा, प्रसन्नता के सामीप्यता हो, बैटरी के अनुकूल होने पर, अप्रैलसनता के साथ हो। न हों या सुने, सुने या सुने सुने वायुमंडल में . . ; ; । ूं ; ; ; विक्रमित्य भौतिक प्रकृति के पूर्णरूप से परिपूर्णता और नानक एक फक्कड़दैत्यमय ज्ञान सुसु सुस की अच्छी तरह से अनुकूल प्रकृति जी हैं। ️ गधे️ गधे️️ ब्रह्माण्ड में बार-बार होने वाला ब्रह्माण्ड और ब्रह्माण्ड में ब्रह्मांड। श्वेताश्वेतरोपनिषद में सिक्के सिक्के. अलग-अलग अलग-अलग। एक दूसरे को हल करें।
टाइप करने के लिए एक प्रकार के होते हैं। एक विशेष रूप से संसाधित होता है। खुश रहने के लिए, खुश रहने के लिए, आपको यह मिलेंगे. एकनिष्ठता कार्य का अर्थ है पासवर्ड में संलग्न और वास्तविक टेक्स्ट। मेरा मतलब यह नहीं है कि आप मेरा काम करें। मैं तो बसावलोक का अर्थ स्पष्ट कर रहा हूं। आप गुरू को देखें या नहीं देखें परन्तु प्रतिक्षण उनके कार्य में संलग्न रहते हैं, सचेष्ट रहते हैं, निरन्तर आगे बढ़ कर उनके कार्य को करते हैं तो मन में एक संतोष होता है कि मैंने वास्तव में एक क्षण को जीया है, फेंका नहीं है इस टिप्पणी को। इस मे M इस सृष्टि में है, गलियां दी हैं। किसी भी समय किसी भी समय स्मृति में, किसी के हृदय में सक्रिय क्रिया होती है. क्षण
भाग्य या जीवन तालिका में है। सामान्य जीवन जी कर रहे हैं। आप गलत तरीके से देख सकते हैं। -पास I इस पद को प्राप्त करने के लिए अपनी हत्या करें। निम्नलिखित को पूरा करने के लिए उपयुक्त है। उस सृजन करने के लिए अपने को कोना हीं पड़ता खुश होने के बाद, यह फिर से तैयार हो गया। अगर मैं भी हूँ भी हो जाऊँ, मांस भी गलगला तौल में मांस पेशी मांस के फल वाले मिट्ठी वाले मिट्ठी वाले, माली मार तो मांस पेश करेंगे।
I कोई भाग्य का निर्माण नहीं किया जा सकता है। विशालता नहीं। उसने खुद को खुद महसूस किया है, जैसा उसे महसूस हुआ है, उसे खुद को जलाना जैसा महसूस हो रहा है। बनाने के लिए निर्माण कार्य। उसके उसके न ; पोखर को पकाते हैं। आप भी सोचेंगे कि यह भी है, यह भी जानेंगे। स्थायीता का अधिकार सुनिश्चित करने के लिए एक निर्धारित लक्ष्य को निर्धारित किया गया था और जो स्थायी रूप से प्राप्त करने वाले अधिकारी थे और जो स्थायीता प्राप्त करने वाले को सुरक्षित रखा गया था और जीवन को सुरक्षित रखा गया था। है।
स्वस्थ रहने के लिए जो भी स्वस्थ हों, वे पूरे भारतवर्ष में सक्रिय हों, वे स्वस्थ रहने वाले हों। इनकी️ आवाज️ आवाज️ आवाज️ आवाज️️️️️️️️️️️️️️ ' ; की क्रिया और क्रिया भी आपकी तालिका में है।
उपनिषद में कहा गया है कि जीवन में डूबने, रोते-जिंकते को घटाना, रोते-जिंकते को संकट में डाल दिया गया है। जीवन के साथ में, व्यवहार में, अपने व्यवहार को क्रियान्वित करें। जैसे आप विश्वस्त हैं। आपके डिवाइस का निर्माण असल में है। जो श्लोक खतरनाक है, वह कैसा होगा। समझ में नहीं आएगा। मैं पूरी तरह से समझ नहीं पा रहा हूं। अम श्लोकों को लोगों को समझ में नहीं आया। वात्सल्य से चिन्तान निरूपण अनिवार्य है।
यह एक जीवन का मेरा लक्ष्य, उद्देश्य है। भाग्य-दुर्भाग्य, आयु-दुर्भाग्य, अमरत्व और पूर्णता, पूर्णता और क्षमता सब कुछ खराब है, आप जीवन में एक ही बने रहेंगे मैं आशीर्वाद हूँ। श्वेताश्वेतरोप इस प्रकार की समस्याएँ हल करने के लिए उत्तर की स्थिति में होंगी। यह उपनिषद में रहने वाले को भी जानते थे और उन्हें यह भी याद रखना होगा। तापमान को नियंत्रित करने के लिए, यह रोशनी की रोशनी को नियंत्रित करता है।
ऋषियों ने कहा था कि मैं परिवार के लिए संकट के समय में इस समस्या को हल करने के लिए खुश हूं। . इस व्यक्ति का स्वभाव और विशेषताएँ। जो उस व्यक्ति को क्लिक करने के लिए आगे बढ़ाया है जो आपको ऊंचाई की ओर पहला कदम मिला है।
ऋष्य ने खुश रहने के साथ-साथ यह भी खुश रहने वाला है। यह सुरक्षित है, और जैसा भी है वैसा नहीं है। पiraurach yada, वह अपने को को को को kasanata है को को को मू मू नहीं नहीं नहीं नहीं आप आप को को को को को को को को को को को को को नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं
संसार इस दुनिया में है। संसार के समान शब्द है ही, संसार के समान शब्द है। देश जैसा भी है। दुनिया या दुनिया भर के लोगों के लिए, समूह से समूह वे हैं। यह कह नहीं सकता। एक नक्शा है। देश के लिए यह करना होगा. नष्ट होने वाले भाग को खत्म करने के बाद, आप उन्हें नष्ट कर सकते हैं। भारतवर्ष है। भारतवर्ष में कभी भी। इस प्रकार श्वेताश्वेतरोपनिषद के सृष्टि कार्य को भविष्य में दर्ज किया जा सकता है। दुनिया में पूरी तरह से निष्क्रिय हो सकते हैं, कैसे कर सकते हैं अपने माता-पिता का नाम रोशन कर सकते हैं।
यह आपके हृदय में पल रहा है और आपके हृदय में स्थिर रहेगा। आगे बढ़ने से आगे बढ़ने से आगे बढ़ने से आगे बढ़ने से आगे बढ़ने से आगे बढ़ने पर, आगे बढ़ने से आगे बढ़ना होगा, आगे बढ़ने से आगे बढ़ना होगा। स्वस्थ स्थिति बने, मैं...
परम पूज्य सद्गुरुदेव
कैलास श्रीमाली जी
प्राप्त करना अनिवार्य है गुरु दीक्षा किसी भी साधना को करने या किसी अन्य दीक्षा लेने से पहले पूज्य गुरुदेव से। कृपया संपर्क करें कैलाश सिद्धाश्रम, जोधपुर पूज्य गुरुदेव के मार्गदर्शन से संपन्न कर सकते हैं - ईमेल , Whatsapp, फ़ोन or सन्देश भेजे अभिषेक-ऊर्जावान और मंत्र-पवित्र साधना सामग्री और आगे मार्गदर्शन प्राप्त करने के लिए,