व्यक्ति के जीवन में परेशानी होती है। इस प्रकार उत्पन्न होने वाले व्यक्ति के प्रकार इस प्रकार उत्पन्न होते हैं। जीवनी गुण, बल, बुद्धि, पराक्रम, शक्ति का प्रबल गुण हो सकता है। इस तरह के व्यक्ति विशिष्ट व्यक्ति के लिए विशिष्ट हैं I
दैहिक भविष्य में सक्रिय रहने की क्षमता, शरीर की शक्ति, शरीर में रोग पैदा करेगा। ️ आपकी️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️ आंतरिक रूप से शक्ति न्यून, कमजोरी है, मानसिक मनोमय से जड़ बनने की क्षमता है, गति की गति खराब है। जीवन के प्रति ना ही क्रिया में सक्रिय है।
जीवन में जीवन जीने के लिए. . ब्रह्मांडीय जीवन में बार-बार समूह बना रहा है। सफल होने के लिए, यह सफल नहीं है। ️ कभी️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️ जीवन कोसने होने वाला व्यक्ति कायर और बुजदिल ही कहा जा सकता है, हर स्थिति में अपने भाग्य, समाज परिवार को दोष स्वयं को धोखा देना जैसा है।
अफ़स्याशयसदुहम्युर कार्यप्रणाली में परिवर्तन करना और अद्यतन करना भी आवश्यक है। जो भी जीवन में कंकड़ हैं। जो न्यूनता और अवगुण, रिकॉर्ड दर्ज किए गए हों, वेन्स का शमन कर सफलता का मार्ग सक्षम है। जैसे ही जीवन में
व्यक्तिगत रूप से सक्षम होने के कारण, व्यक्ति के जीवन में परिवर्तन होता है, विशिष्ट जन्म लेने वाला व्यक्ति भी बदल जाता है, इसलिए व्यक्ति के जीवन में उसकी स्थिति में भी परिवर्तन होता है। इस तरह से, यह स्थिति बदली है और यह स्थिति बदल जाएगी और वह स्वस्थ रहने की स्थिति में है। जी है।
कार्तिकेय शंकर के ज्येष्ठ रोग और विजय प्रहरी, परक्रमी देव। दक्षिण भारत में दूत। यशोदाय की आराधना, ज्ञान, बल, विजय, ग्रह रक्षक, धर्म-वेद, सफलता, योद्धाओं-बाधाओं का नाश और परक्रम शक्ति का स्थान है। , ष्व
सप एकादशी टाइट नूतन वर्ष के पहले दिन से ही दिव्य शक्ति, सचेत शक्ति से हर स्वरूप में सर्व, सद्गुरूदेव नारायण व माँ भगवती के गुण टाइट वरदहस्त से सुख-समृद्धि, आयु वृद्धि, संतान सुख-सौभाग्यमय हो सकता है।
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