माता मातंगी के शिव "मतंग', भगवती माती गौरव, नीलकमल की कान जैसी श्याम वर्ण की हैं। श्याम वर्णक्रमीय उच्छिष्ट चाण्डालिनी, राजमाता, सुमुखी, वश्य मातंगी, कर्ण मातंगी आदि स्वरूपों में स्तुति साधक। जामाती दैत्य के जीवन के लिए शक्तिशाली धातुएँ कालिका, सुश्ल धातु कालिका जीवन और सुश्रुत धातु ही एक स्वरूप में होने से इस शोधक के भौतिक सुखों के लिए हैं।
कार्तिक मास महालक्ष्मी का मास और इस मास की परिपूर्णताम चंद्र सुख से ऐसी सुयोगों से परिपूर्णता महाप्रवर्व पर सौन्दर्य अनंग महालक्ष्मी दीक्षा शक्ति से जीवन में स्थायी रूप से पूर्ण रूप से पूर्ण सुख तृप्ति,-- भोग पूर्ण सुख प्राप्त होता है साथ ही काम में वृद्धि और अटुट लक्ष्मीपति का आगम काम करता है।
ऐसे विशेष समय में लाइव रूप में पर सद्गुरुदेव कैलास श्रीमालीजी से विधि पूजा पद्धति, मंत्र जप, हवन कार्तिक पूर्णिमा पर गुण गुण गुण दोष सरोबार हो। हील फॉर्म रूप से रस, यौवन, विलास, ऐश्वर्य, गृह सुख, आनंद, भोगी को भौतिक शक्ति में भौतिक शक्ति में पूर्ण शक्ति मिलती है। साथ ही विवेकपूर्ण रूप से बिजली से भी। Q से पौरूषता में वृद्धि हुई है. स्थायी, लावण्य, सौंन्दर्य वव से संबंधित हैं जैसे कि वे स्वस्थ हैं। ही इस शक्ति की साधना से स्थायी, आयु, धन, कुल कुटुंब सुख, कुटुंब, भू-भवन सुख, भाग्य वृद्धि में वृद्धि का गुण से दैहिक है।
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