प्रान्तं दिन की शक्ति कात्यायनी है। पौर आराधना से चक्रीक्रांत है और श्राप और वरदानी की क्षमता विकसित हो रही है। दिन की शक्ति कालरात्रि। ध्यान आराधना से सहस्रार चक्र जाग्रत है और अहं ब्रह्मास्मि का भाव प्राप्त है। आठवें दिन की शक्ति महागौरी है। उर्ध्व कुण्डलिनी में ध्यान से उज्जल, शुभता और दिव्यता का जाग्रत. नल की शक्ति में सिद्धिदात्री है, ध्यान में सिद्धि सिद्धि और मोक्ष की विशेषता है और वह स्वयं जितेंद्रिय और नवशक्ति से शक्तिशाली बनता है।
मंगल ग्रह पूजा यज्ञ आदि के लिए मंगलाचरण स्थापित किया गया है। यह कलश शुभ मंगल शांति ऋद्धि-सिद्धि, सचेत और देवता का प्रतीक है। घटाया गया नाम का नाम बदलकर पूरा किया गया। कंठ के मुख में विष्णु, कंठ में रूद्र, अधोभाग्य में ब्रह्म, मध्य में अष्टाध्याय गृहगण, कुक्षी में सप्त सागर, सप्तद्वीप पूर्ण पृथ्वी और उदर में सभी न्यासों का गठन किया गया। इस प्रकार के राइट्स राइट्स के साथ इष्ट देवता का ध्यान, आवाहन, प्रेक्षक है।
07 को प्रातः 05:00 बजे खाने की थाली में कपड़े पहने। सर्व प्रथम पूजा स्थान में पशु के बैजोट के सफेद् ्व व शुद्ध जल कलश के कलश, कलश में मौली जले और गंगा जल, शुद्ध, अक्षत, पुष्प, सुपारी, सिक्कम स्थापित करें। फिर भी, आदि जैसी चीजें लाल कला में स्थापित होती हैं। कलश की ओर उत्तर-पूर्व दिशा की ओर मुंह होम-
खाने के बाद खाने से पानी पूरी तरह से स्वस्थ हो जाएगा।
ऊॅं अपवित्र: पवित्र वाँ सर्वं गतोऽपि वा।
यः स्स्मृत पुण्डरीकाक्षं स बाहृभ्यान्तरः शुचिः।।
अक्षत और पीत्स के आसन।
ऊॅं पृथ्वी ! त्वया धृता लोका देवी! त्वं विष्णुना धृत।
त्वं च धारय मां देवि! पवित्रं कुरु चासनम्।।
कुंकुम से अपने ललाट में तिलक करें, दीपक प्रज्वलित करें, अगरबती जले और दीपक का कुंकुम, पुष्प और अक्षत से पूप करें। तालिका गणपति स्मृति करें-
ऊॅं श्रीमन्महागणधिपतये नमः। लक्ष्मीनारायणाभ्यां नमः।
उमाहेश्वरभ्यां नमः। हिर्यरण्यगर्भाभ्यां नमः।
शचीपुरन्दराभ्यां नमः। मातापितृचरण कमलेभ्यो नमः।
प्रिय देवताओं के लिए ऊँ। कुल देवताओं के लिए ओम. ग्राम देवताओं को
नमः। स्थानदेवताभ्यो नमः। वास्तुदेवताभ्यो नमः। सर्वभ्यो
देवेभ्यो नमः। सर्वेभियो ब्राह्मणेभ्यो नमः। ऊॅं
सिद्धिबुद्धिहिताय श्रीमन्महागणधिपतये नमः।
सुधा- दाएँ तालिका
ऊॅं विष्णु र्विष्णु र्विष्णुः श्रीमद्भगवतो महापुरूषस्य विष्णरेज्ञया प्रस्य अद्य श्री ब्रह्मणोऽह्नि द्वितीयपरार्धे श्वेता वाराकल्पे जम्बू द्वीप। भारतवर्ष (अपना गांव, जिला का नाम उच्चारण) वर्ष संवत् 2078 आश्विन मास धर्म हरबाधा शुक्ल्सर्व प्रतिपदा तिथौ अमुक वासेरे (वार का उच्चारण), निखिल गोटेत्पन्न, अमदेव शर्मा (अपना नाम अनुज्ञापन) अहंग, मम सपरिबाधा सर्वबाधा संवर्द्धन, अर्थ काम मोक्ष चतुर्बिधार्थ सिध्यार्थं, शृति-स्मृति पुराणोक्त फल प्राप्त्यर्थं, पूर्णाष्ट सिधार्थं, श्री गुरु कुलदेवता इष्टदेवता प्रीत्यर्थं, श्री नवदुर्गा ललिता सिद्धदेवी महानवमी शक्ति चेतन पूर्वत्यर्थं, अदय नवरात्रि प्रथम दिन में पुर्नस्थापना कर्म हम पूर्व। (जल भुमि पर पोस्ट करें)
अक्षत, दीप्ति का कार्यक्रम आगे बढ़ने के लिए-
ऊॅं श्रीमन महागणाधिपतये नमः, गणपतिं आवाह्यामि,
गणपतिं इहागच्छः इहतिष्ठः, मम पूजा गृहण।
ऊँ ब वरुणाय नमः, ऊँ आदित्यादि नवग्रहेभ्यो नमः,
ऊॅं इंद्रादि दश दिग्पालेभ्यो नमः, ऊॅं ग्रामदेवतायै नमः,
एता देवता आवाह्यामि, ऐता देवता इहागच्छः इहतिष्ठः, मम पूजा गृहण।
(अक्षत,पुष्प में)
ऊॅं गणपत्यदि आवाहित देवताभ्यो नमः।
जन्मस्थानं-गंधं-पुष्पं समर्पयामी।
धुपं-दीपंदर्शयामी। अमृत-नैवेद्यं निवेद्यामी।
आचमियं-जलं समारपायामी।
अक्षरं समर्पयामी नमो नमः
अब माहिरा शक्तिशाली गुरु मंत्र एक मलिका जप करें।
पुष्प पुष्पांजलि 11 बार पुन:संस्करण कर रहे हों- ऊॅं भं भैरवय नमः।
पुष्प पुष्पांजलि जगदंबा का ध्यान आवाहनपूल करें, कलश पर पुष्पवर्षा
बालार्क मंडला भाषां चतुर्वाहु त्रिलोचनम्।
पाशांकुशः शराचपं रयन्तिं शिवा भजे।।
(पुष्प करें)
ऊॅं भगवती जगदंबयै नमः। आवाह्यामि, जगदम्बे इहागच्छः इहतिष्ठः, मम पूजा घर।
ऊॅं भगवती जगदंबयै नमः। पुष्पासनं समर्पयामी।
(पुष्प करें)
ऊॅं भगवती जगदंबयै नमः। पाद्य समर्पयामी।
(जल सूचना)
ऊॅं भगवती जगदंबयै नमः। अर्घ्यं समर्पयामी।
(जल सूचना)
ऊॅं भगवती जगदंबयै नमः। आचमनीयं समारपयामी।
(जल सूचना)
ऊॅं भगवती जगदंबयै नमः। ब्यियं समर्पयामी।
(जल सूचना)
ऊॅं भगवती जगदंबयै नमः। वस्त्रं-उपवस्त्रं समर्पयामी।
(मौली का 2 समाचार देखें)
ऊॅं भगवती जगदंबयै नमः। यज्ञोपवीतं समर्पयामी।
(जनउ करें)
ऊॅं भगवती जगदंबयै नमः। चन्दन समर्पयामी।
ऊॅं भगवती जगदंबयै नमः। सिंधुरं समर्पयामी।
(चंदन, सिंधू)
ऊॅं भगवती जगदंबयै नमः। पुष्पाणि समारपयामी।
(पुष्प करें)
ऊॅं भगवती जगदंबयै नमः। धुपं समर्पयामी।
ऊॅं भगवती जगदंबयै नमः। दीपं समर्पयामी।
(उदबत्ती, दीप्ति आगे)
ऊॅं भगवती जगदंबयै नमः। अमृत नवेद्यं समापर्यामी।
ऊॅं भगवती जगदंबयै नमः। आचमनीयं समारपयामी।
(पाचक आचमन सदस्य)
ऊँ भगवती जगदंबयै नमः,
सपरिरायै सयुधयै सवाहनयैैैैैैैैैैसे सभरावायै
गम, पुष्पं, धुपं, दीपु, नवेद्यं, अक्षतान् समारपयामी
मंत्र का 10 बार जप करें-
ऊॅं नारायणै विद्यामहे भगवतै धिमही तनो दुर्गा प्रचोदयात।
जगदंबा आरती, गुरु आरती प्रतिक्रिया करें।
पुष्पांजलि अर्पित करें-
मंत्र क्रियाएँ क्रियाएँ क्रियाहीनं सुरेश्वर।
यत्पूजितं मया देव! हिटं तदस्तु मे।।
सर्वमंगलमंगल्ये शिव सर्वसार्थे।
हे तीनों लोकों की रक्षा करने वाली, हे गौरी, हे नारायणी, मैं तुम्हें प्रणाम करता हूं।
प्राप्त करना अनिवार्य है गुरु दीक्षा किसी भी साधना को करने या किसी अन्य दीक्षा लेने से पहले पूज्य गुरुदेव से। कृपया संपर्क करें कैलाश सिद्धाश्रम, जोधपुर पूज्य गुरुदेव के मार्गदर्शन से संपन्न कर सकते हैं - ईमेल , Whatsapp, फ़ोन or सन्देश भेजे अभिषेक-ऊर्जावान और मंत्र-पवित्र साधना सामग्री और आगे मार्गदर्शन प्राप्त करने के लिए,