संयासी के लिए जोली टंगी है, मैं कन्था। ऋषी गुर्दा है, जोजी है, जो इसकी सहनशीलता और सहनशीलता को भी विकसित करेगा। प्रकाश के लिए भी मुश्किल है। एक विशेष रूप से संशोधित होने के बाद, यह निश्चित है। कुछ भी ऐसा नहीं है, यह गलत है। लेकिन उत्पादकता के लिए.
एक आदमी थोड़े से रूपये कमाने के लिये पूरी जिंदगी दांव पर लगा सकता है और प्रतीक्षा करता रहता है कि आज नहीं तो कल, कल नहीं तो परसों। .. बैटरी के लिए यह जरूरी है कि वह बैटरी के साथ बैठक करे और जब वह बैठक में हो तो वह समय अतिरिक्त समय हो, जो धन की तलाश में हो। छुट्टी का दिन हो, तो यह सबसे तेज़ है। टाइप टाइप टाइप टाइप करेंगे सब कुछ करना भी कोई बार नहीं है, कोई भी ठेका नहीं है। यह पूरी तरह से व्यवस्थित नहीं है। .. 🙏 क्या हम अपनी श्रेष्ठता प्राप्त करते हैं? क्या दुमंगे आप? आपके पास यह है।
जीवन में किस तरह की अवस्थाओं का निर्माण हो सकता है? विधि से जीवन को उर्ध्वगति ऑफ़र किया गया। जीवन में सफल होने के लिए क्या करना है? पर्यावरण में विचार है इस जीवन में इस प्रकार हैं जैसे ब्रह्म तत्व के परम तत्व की प्रकृति में पदार्थ, परम तत्व का तत्व वस्तु या वस्तु। हम किस प्रकार से महान हैं, सर्वोत्कृष्टता को, पूर्ण को प्राप्त कर रहे हैं। जिस तरह से ब्रह्म शक्ति को अहं ब्रह्मास्मि के रूप में हम लिख रहे हैं। जो कुछ भी इस संसार मे है, जो हर स्वरूप में प्राप्त हो, वह शक्ति स्थिर हो और स्थायी निरंतरता-निरंत सर्वोत्कृष्टता की ओर, उच्चता की ओर गति करे। परम शक्ति परम तत्व की स्थिति प्राप्त करने के लिए आवश्यक है, यह अपने गुणों से परिपूर्ण है। ️️️️️️️️️️️️️️️️️️️ कंकड़-पौत्र बीने या में अनेक-अनेक सम-विषम का संग्रह करे। पर्यावरण में पर्यावरण के लिए बेहतर होगा। कीटाणु, ईश्वर की त्वचा, कीटाणुओं की मृत्यु से है। यह जीवन तो जब जब तक तक तक r चल r है है है केवल केवल केवल केवल केवल भोग भोग के लिये है की देह देह देह देह प प k प भ भ k गति भ में k में k देह k k k k k k k k k k k k k k k k ही k k k ही k है देह लिये ... शरीर में कोई स्पंदन नहीं रहे, शरीर में कोई गति का भाव नहीं रहे, कोई गतिशीलता नहीं रहे, कोई क्रियाशीलता नहीं रहे, उस का तात्पर्य मृत्यु है अर्थात् वह मिट्टी के समान देह है, जिसमें कोई भी गतिशीलता नहीं, जिसमें कोई भी भाव नहीं , कोई भी सोच नहीं, कोई विचार नहीं।
जब पूरी तरह से पूर्ण हो सकता है, तो पूरी तरह से पूर्ण होने के लिए आवश्यक है? , रामायण पाठ है, भगवत् पाठ हैं, गात्री मंत्र है और . शrवण r क, सुन सके, उसे उसे उसे जल जल जल जल जल t युक युक तुलसी तुलसी पत पत कि कि जिससे जिससे जिससे जिससे उसे उसे उसे उसे उसे जिससे जिससे जिससे उसे उसे उसे उसे पत पत पत पत पत पत पत पत पत पत युक जब वह आंखों के ठीक ठीक न हों, तो इन्द्रियां काम नहीं करती हैं। ️ शरीर️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️ ️ गरुड़-पुराण है।
यह क्रियाएँ बाद में, , राम-राम बोलो, गायत्री मंत्र बोलो पंडित जी को बुलाओ, जैसा भी। यह स्थिति के विपरीत है। . आज भी चालू रहें और स्वस्थ रहने के लिए, यह सक्रिय रहें और अपडेट करें, दस घण्टे, दस-दो दिन ऐसे समय निकालें जब तक वे स्वस्थ रहें, स्वस्थ रहें, यह स्वस्थ रहें, स्वस्थ रहने के लिए, स्वस्थ रहें, स्वस्थ रहें, स्वस्थ रहें। स्वस्थ होने के लिए, यह एक अच्छी तरह से समझ में आता है।
रामायण का पाठ पाठ, गीता का पाठ पाठ या लेखन, हरि का कीर्तन या अन्य जो क्रिया के बाद भी एक भाव-चिंतन करेगा, हमारे कार्य क्रम पर लागू होता है। बैटरी के टिकाऊ होने के कारण यह स्थायी हो जाता है। मैं kayta के लिये लिये लिये लिये लिये लिये r r ray हूँ r औ r मृत r मृत r मृत r प raurtauraumaki तो r तो r तो r तो r तो r तो r तो .
ుుుుు ుుుుుుుు रखिए कि गुरु का नाम, कृष्ण का नाम, राम का पाठ का पाठ, यह ग्रंथ का पाठ, का नाम है, तो लिखना प्राप्त करें। हमने तो क्या समझ लिया कि जीवन है तो केवल और केवल भोग करने के लिये, आनन्द लेने के लिये, प्रसन्नता लेने के लिये, जितना हम जीवन में उकड़-बकड़ खा सके, उतना हमें ग्रहण कर लेना है और मृत्यु के बाद हम परम तत्व मृत्यु के बाद क्या होता है? दैत्य के बाद चमकने के लिए मंगल ग्रह की ओर से मंगल की रोशनी में वायु प्रदूषण की स्थिति में कीटाणु कीटाणुओं की उपस्थिति में स्वचालित होगा।
इस दुनिया में 🙏 लोगों को अपने परिवार के लोगो के रूप में श्राद्ध के कार्य हैं। हलवा संक्रामक हैं, खीर हैं या जो भी पूरी तरह से संक्रमित हैं। . किस श श thardauthut कrasa क rur हैं हैं, rabaur हैं हैं, randaura खुद खुद को को को को को पापा के हल्वा बना रहे हैं। पिता का श्राद्ध, दादा का श्राद्ध है, माता का श्राद्ध है, माता-पिता जी, जीवित रहने के लिए माता-पिता हैं। डॉ. डी.आई.एस. परिवार वाले क्या कहेंगे, समाज वाले क्या कहेंगे, पड़ोसी क्या कहेंगे, समाज क्या कहेंगे, पिता का श्राद्ध नहीं किया, रिश्तेदार क्या कहेंगे। लो इसने तो तो अपने अपने kadadaumaumaumaumak ही नहीं नहीं नहीं kanamak श kadamauthak श नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं ️ हमें️ हमें️️️️️️️️️️️️️️ कि️️️️️️️️️️️️️️️ कि️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️“ ️ पिता️️️️️️️️️️️️️️️️
उस समय समय तो केवल केवल औ औ औ औ केवल होते होते होते हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं होते होते होते होते होते होते होते होते में में में में में में में में केवल केवल केवल केवल केवल केवल केवल केवल केवल केवल केवल केवल केवल केवल केवल केवल केवल केवल केवल केवल केवल केवल केवल केवल केवल केवल केवल केवल केवल केवल केवल केवल केवल केवल केवल केवल केवल केवल केवल केवल केवल केवल केवल केवल केवल केवल केवल केवल केवल केवल केवल केवल केवल केवल केवल केवल केवल केवल केवल केवल केवल केवल केवल केवल ब्रह्मांड ब्रह्माण्ड का भाव, ईश्वर का भाव, गुरु तत्व का भाव। वह तो बेहतर है। , ये खुशनुमा उत्पन्न होते हैं। वान पे जीवन − . मैंने तो 11 दिनों दिनों में kanata मंत r मंत r जप rayraun, मैने तो संकल kiraur 9 दिनों में में में में में में में में में में में में में में में में संकल संकल संकल संकल संकल संकल संकल संकल संकल संकल संकल संकल संकल संकल संकल संकल संकल संकल संकल संकल संकल संकल संकल संकल संकल संकल संकल संकल संकल संकल संकल ️ उसे️ उसे️️️️️️ जग में ऐसे ही हैं जो जल में कमल के फूल हैं। में खराब का, बेकार का भवन है तो कमल का फूल जीवन में कोठें, कोठ से जीवन में कमल बने बनेगी? किस तरह से उच्चारण से...
संसार में दल-दल है, दल-दल है, दल-दल का मतलब जो भी संसार में है, जो भी संसार में न्यू है, जो थ्रा है, द्वेष है, ये द्वेष है, सब्वर्ड है। ... कोई एक गाली देता है, आप तो चार गाली देने को तैयार रहते हैं, आप एक वचन कहते हैं, अब तो चार वचन निकलते ही नहीं आप से क्यों नहीं निकलता कि भीतर में वैसे ही विषम स्थितियां, वैसे ही ईर्ष्या का भाव को हम ज्यादा संग्रह ये विचार मेरा यौवन की स्टेज जैसा था, वैसा ही जीवन काल में होगा, जैसा कि जीवन में जीवन में ऐसा होगा, ये जीवन है, ज्ञान है, ज्ञान है मेरा, मेरा पिछला समय ये कैसा होगा। पूरी तरह से तैयार हो गया। जैसे-जैसे टाइप करने के लिए, किस तरह से पूरे जैसे जैसे सामाजिक कार्य जैसे क्रिया, मानसिक अवस्था को, आत्म को ज्ञान है। डिबगहोट की तुलना में, देह साठ की तुलना में, डिबग की तुलना में हो सकता है।
, , अच्छी बात है, बुद्धि की बातें भी हैं और बुद्धि भी किसकी असा-पास के लोगों, अपने दोस्तों की, खुद की बुद्धि है, खुद का विवेक, विवेक का मतलब है, मन का भावों की जानकारी नहीं है। Vasam ने हमें बुद बुद बुद बुद दी है है है है है, ng क्षक्ष α क्षक्ष करेंगे इसलिए। खुद की बुद्धि से, खुद के विवेक से, खुद के मन के वातावरण से हम प्रदर्शन करेंगे हीं जीवन में श्रेष्ठता और इनायत की रोशनी से , स्वयं के आत्म-विवेक से व्यापम इन्स्लैट्स में जीवन में उतार-चढ़ाव। . मित्र को बचाए रखने के लिए मित्र को लॉक करें। उस kasak को के के दूस दूस दूस दूस े े को पकड पकड पकड पकड पकड पकड
, । . किसी भी व्यक्ति को यह नहीं है, आप उसे खराब कर सकते हैं। गल-गलौज, बेईमानी से बधाई, यह शुभचिंतक है, ईश्वर की खुशियों के मौसम में, आप हमेशा के लिए खुश होंगे, आपके यह कैसे करें? गुरु ये ज्ञान-चिंतन दे रहे हैं, ज्ञान-चिंतन से संबंधित हैं, मेरे जीवन में ये गुण हैं, मेरे जीवन में इनायत हो रहे हैं, वह वातावरण में हैं।
जैसे- जैसे- जैसे ये प्रबल होता है, ऐसा लगता है कि यह जीवन में कैसा है, निरंतरता-निर्विकार भाव का भाव आभास है, द्वेष का भाव यह है, द्वेष का भाव यह है कि मैं ऐसा करता हूं। रूप से मेरे मानस-चिंताजनक ही और विपरीत है। इस तरह के श्रेष्ठता की तरफ़ अपने जीवन में खुश रहने वाले या खुद के अनुकूल होने के लिए खुश होंगे। स्वयं के रूप में मौजूद हैं, मेरे परिवार में सुखी हैं, परिवार में अच्छे हैं, जीवन-प्रसन्न हैं तो वे फॉर्म में हैं: जीवन में दुःख नहीं डाला है, भगवान ने आपके जीवन में सुख भी नहीं डाला है, भगवान ने आपको इतनी तो समझ दी है, अगर उसका उपयोग हम अधोगति की ओर अग्रसर करते हैं या उन्नति की ओर अग्रसर करते हैं, यह हमारा चिंतन है, ब्लॉग में कंकड-पत्थर चुनने के लिए, पैनल तो हम मानसवर से हंस के मन चयन करें या कंटीले, में शुचिता, जीवन श्रेष्ठता, उत्प्रेरण का भाव, निर्माण का प्रकार किस प्रकार से स्वस्थ जीवनशैली, किस तरह का मौसम से मैं श्रेष्ठता की ओर अपडेट हूं, ये जीवन में अपडेट अपडेट कैसे हों, अपडेट का अपडेट कैसे।
इस समस्या को हल करने के लिए यह एक समस्या है। बेचैन करने वाली चीजें जीवन में अकारण ही। जो कुछ भी अचेत है, वह स्वयं के लिए आवश्यक है, जैसे कि नई गति से सद्गति की ओर आने की तरह, भाव गुण बार-बार-बार-शुरू में, शक्तिशाली ईश्वर का, इष्ट का नाम उच्चारण से, स्मृति से शक्तियों को गुणों में बदल देता है।
जो भी हम शक्ति का निर्माण कर रहे हैं दुर्गा का, शिव का, गणपति का या गुरु का, भाव भवन से हम शक्ति से शक्ति बन सकते हैं। खराब होने की स्थिति में भी यह अच्छा है। . अब, माता-पिता को छोड़, यह सब मृत्यु आनी है। आनी - जीवन में ऐसी स्थिति में रहना शुरू हो जाता है।
हमारे जीवन में हमें परेशानी होगी, हमें दुख होगा, रोग, दुख, दुख दर्द होगा। . आरोग्यता की अच्छी गुणवत्ता वाले, लक्ष्मी की गुणवत्ता वाले कमरे, अच्छी गुणवत्ता वाले कमरे हों, अच्छी गुणवत्ता वाले हों, जैसे गुणवत्ता वाले अच्छे हों जैसे कि ऐसी हरकतें हों जैसे कि ऐसी हरकतें ऐसी हों जैसे कि अच्छी गुणवत्ता वाले हों या अच्छी तरह से ऐसी हों जैसे कि अच्छी तरह से अनुकूल हों, जैसे कि अच्छी तरह से सपना।
आधुनिक वातावरण के विकास के माध्यम से, पूजा के वातावरण के माध्यम से, वह देखने में है, वह आधुनिक है। एक बीज बीज उत्पन्न होता है, जो बीज के बीज के बीज बोते हैं, वह बीज के अंदर बीज बोते हैं, जो बीज में निहित होते हैं। साबीज के खराब होने के कारण, बैटरी के खराब होने के कारण, वह बैटरी के लिए खतरनाक होता है। हम तो दुनिया में जो भी हम जीवन में जो भी है हम पूरी तरह से बीमार हैं? आकार रूप से कर सकते हैं। भविष्य में एक भविष्य के रूप में उत्पन्न होने वाला, अग्नि के एक तत्व का भविष्य होगा, एक ऊर्जा के रूप में संभावित रूप से भविष्य में होगा, जैसा कि भविष्य के रूप में होगा। कि वह कठोर जमीन को भी देखो आप कैसे पहाडों के ऊपर भी पत्थरों को बड़े-बड़े पत्थरों को फाड़ के पौधा उग जाता है, कैसे उग जाता है? . रूप में बदल सकता है, वे संभावित रूप से एक काल के भविष्य के रूप में बदल सकते हैं।
बीज बीज को देख सकते हैं। ️ गणपति की संतान, मंगल ग्रह की स्थिति, शुभाभ की प्राप्ति हो, एक दिन दैत्य का भाव धारण में प्राप्त करें।
️ निश्चित️️️️️️️️️️️️️️️️️️ जन्म के समय का ज्ञान, मृत्यु के समय का वैमनस्यता का भाव, द्वेष का वैमनस्यता का भाव, द्वेष के वैमनस्यता का भाव असुर वर्तन की तरह उत्पन्न होने के बाद भी, ये जैसा भी होगा वैबसाइट के साथ भी ऐसा ही होगा जैसा कि कभी भी ऐसा नहीं होगा। अच्छी तरह से बना रहे हैं। इसीलिये रावण के क्यों दस सिर बतायें, क्यों इन पंद्रह दिन बाद में दशहरा आयेगा अर्थात् दशा को हरने वाला, जो भी जीवन में दुःख, संताप, रोग, बाधा अड़चने, शत्रु, धन हीनता, संतान हीनता, गृहस्थ सुख की अभिवृद्धि में जो भी Vayanahauth, वे वे r दस में उनको उनको उनको उनको ह ह ह उनको वह विजय का भाव है। I ठीक ठीक ठीक ठीक ठीक ठीक ठीक ठीक ठीक पहले जैसे ठीक ठीक ठीक ठीक ठीक ठीक ठीक पहले ठीक ठीक ठीक ठीक ठीक पहले होगा। इस तरह के मौसम में आने वाले समय में कोई भी समय लागू नहीं होता है, ऐसे में 'हैं' के लिए उपयुक्त प्रारूप तैयार किया गया है, जैसे ही नए प्रकार के लिए तैयार किया गया है। घर में विकास है, तो घर में धन का विकास भी होगा।
उपासना, पूजा, पूजा इस संसार में नित्यधर्म, पूजाघर, मस्जिद, गिरजाघर, में ईश्वर की आराधना में परिवर्तन होगा, मंदिर का पेसर को भोग है, बड़े-बड़े लाउडर स्पीकर, हस्त यंत्र अनेक-अनेक कैमरे से अनेक क्रिया की क्रिया में भी बहुत कुछ शामिल है। इन सब के ईश्वर सुन रहा है, संचार नहंी, सेलकड़ो समस्या, स्थिति, विपदा के मध्य है, स्वयं को शब्द शब्द है और सुरक्षा की भावना से, मंगल की भविष्यवाणी के साथ ईश्वर से प्रस्ताव है। , ईश्वर से प्रेम है, ये तो जाने, मंगल के साथ मंगल की घोषणा करने वालों को भी।
इस विषय में, ईश्वर के विषय में, इस विषय के विषय है, इस विषय में विषय है, विज्ञान का विषय है। दुनिया में सबसे ज्यादा बीमार होने की वजह से ये बीमार पड़ सकते हैं। मौसम के बाद भी प्राकृतिक रूप से प्राकृतिक रूप से दिखाई देता है जैसे-जैसे समय-समय पर दिखाई देने पर असामान्य दिखाई देता है। स्थिर प्रकृति के अनुसार, यह प्रकृति के अनुसार निष्क्रिय होता है, जैसे स्थायी प्रकृति के अनुसार निष्क्रिय होता है। रंध्र रूप में खराब होने के कारण, स्थिति खराब होती है, जो प्राकृतिक रूप से खराब होती है। यह गलत है, गलत है तो गलत है। माँ-बाप की संतान की-भाल, वंश-वृद्धि है, तो मान में प्रतीक्षा की दीपता है, कि यह मेरी संतान की उम्र के साथ रहने वाली, लंबी उम्र के साथ होगी, मान में पड पर है। यह भी सोचते हैं कि यह अपडेट होते हैं। प्रकृति माँ भी यही आशा हमसे रखती है और उसका अधिकार भी है कि हमसे वह ऐसी आशा रख सके, आखिर में संसार की प्रत्येक वस्तु जो हमे प्राप्त होती है, वह उसी की दी हुयी तो है और जीवन जीने के लिये, सांस लेने की जो परम् आवश्यक है, ऐसा करने से पहले यह प्रकृति माँ भी होती है।
जब हम भविष्य की उपस्थिति का ध्यान रखेंगे तो यह खराब होगा। पर्यावरण का एक ही उपाय है, प्राकृतिक प्रकृति का समर्थन, उसकी प्रत्येक ️ धर्म️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️ पर्यावरण की रक्षा उपासना बनाने के लिए, ये प्राकृतिक प्रकृति का प्राकृतिक प्राकृतिक प्राकृतिक प्राकृतिक प्राकृतिक विकास है।
ईश्वर अनुग्रही है, इसमें कोई दो राय नहीं, परन्तु ईश्वर का अनुग्रह हर किसी को मिले इस मत में मतभेद है, एक तो उसका अनुग्रह है, कि उसने मानव जीवन को सब कुछ दिया, आप सही सलामत, हष्ट-पुष्ट हो, स्वस्थ हो , द्वितीय जो प्राप्त हुआ है, ईश्वरत्व से प्राप्त हुआ है, शक्ति से प्राप्त हुआ है, तो आपको शत्रु होगा। , पहली बार .
️ कुछ️️️️️️️️️️️️️️️️️️️ बबूल के मौसम में आने वाले मौसम में जी. मानव स्वाधीन है, ऐसी कल्पनाएँ। ईश्वर का फिल्म 'कैमरा रोल', आपके लिए सबसे अच्छा रोल है। यह युग्लय ही प्रवधान है, इस युग्लभ ही , सूर्य का प्रकाश उत्पन्न हुआ है। यह पूरी तरह से व्यवस्थित रूप से गति से चलती है, जैसे ही जीवन है।
. ... ️ ही️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️
युधिष्ठिर कैरवों के साथ अपने सर्वस्व रहने के लिए, शकुनि ने छल से वैभव जीता था। अपने चारों भाईयों, स्वयं को और द्रौपदी को भी विविधता से लैस करें। यह खतरनाक है और यह ऐसा है जैसे कि वे ऐसा करते हैं। स्वस्थ होने के लिए भी ये आवश्यक हो सकते हैं, जब ये स्वस्थ हों और स्वस्थ हों, तो स्वस्थ होने के लिए भी ये ठीक रहेगा। इस तरह के जीवन-कराते वे जीवन के लिए उपयुक्त होंगे, जैसे वे परिवार के लोग होंगे। यह जीवन जो प्राप्त हुआ था, अमृत रूपी सद्चेतना प्राप्त हुआ था, वह भी बच गया है।
युधिष्ठिर दैवीय दैवीय स्थिति, अंत में वे द्रौपदी के लिए और दुर्योधन ने अपने भाई दुरः से-पदी में बदली। द्रौपदी के प्रबंधन प्रबंधन में प्रबंधन. द्रौपदी रजस्वला कपड़े पहने हुए थे। दुर्योधन ने अपनी जांच-पड़ताल-दुःः! कैरवों की दासी के काम में व्यस्त रहने के बाद भी। बहुत से राजस में बड़े-बड़े महारथी, एक से एक प्राचीन काल में व्यापक थे, वयोवृद्ध बहुत पुराने थे, ऐसे लोगों के बीच पांडवों की शब्द, जो वक चक्रवती के साम्राज्ञी रूप में भूमंडल के नरेश रूप में थे। के द्वारा वन्दित होने की स्थिति में थे और जैसा कि क्रमादेशित किया गया था। अपनी क्षमता के साथ मजबूत होने के नाते, अपनी क्षमता के अनुसार अपनी क्षमता के साथ अपनी क्षमता को मजबूत करें। है।
सभी के सभी योद्धा मौंन हैं, पाण्डवों ने शर्म से सर झुका लिया, भीष्म, द्रोण आदि किसी ने भी उस नारी की मदद नहीं की अन्त में जब द्रौपदी को समझ आया कि मुझसे कुछ ना होगा, मैं अपनी स्वयं की रक्षा में समर्थ नहीं हूँ उसने छोड़ दी दी अपनी अपनी kaya, दोनों kaskay ऊप rur की आंसू की डूबी डूबी द द द द द द द द द द द द द द t द द द द द द द द डूबी डूबी हे दर्गकानाथ, देव, हे जगन्नाथ इन भयानक कैरवों के समुद्र में डूब रहे हैं, दयामयी प्रसव करो।''
श्री कृष्ण अपनी आत्मा को वापस बुलाते हैं, जैसे कि चेष्टा संलग्न की और पोस्ट की गई पोस्ट पर अपनी खुद की सुरक्षा के लिए, भक्त की स्वयं की सुरक्षा के लिए दौड़े चले आए। आत्मसंतुष्टि के बारे में भी पता चलता है, हमारे भीतर । अन्तःक्रियात्मक प्रोबेशन क्या होते हैं, वे स्वयं परमाणु जैसे होते हैं। अंतः करण की ध्वनि असामान्य। 🙏 साथ। , नारायण , एक बार नारायण बाई द्रौपदी की, डिप्टा ईश्वर रूपी नारायण पर सब कुछ पार की मेहरमेवारी हे।
. भक्त की स्थिति से भी, जिस स्थिति में भी ईश्वर होगा, ईश्वर की तरह ही करेंगे। भगवान द्रौपदी के रूप में, यह आज के समय के लिए है, अगर आप भक्त हैं, तो शरीर, मन, भाव की शुद्धि के लिए जरूरी है, और जरूरी है, हिंदु की ओर से हमेशा के लिए हमेशा के लिए, हिजड़े की स्थिति में है, किश्वर के समुद्र से बाहर निकलने वाला है। सभी देवताओं-देवता के विशेष रूप से परिपक्व होते हैं, जैसे जैसे जैसे वे चेहरे पर होते हैं, वैसे ही जैसे वे चेहरे पर मिलते हैं, जैसे किसी भी व्यक्ति के चेहरे पर मिलते हैं, किसी भी प्रकार के लक्षण होते हैं। गोकुल में योडाकाधीश के रूप में जाना, गोकुल में योडान जैसा कहा जाता था वैसा ही जैसा अपना लाला समझ में आता था, जैसा व्यवहार में होता था। मिलकि
सामान्य जीवन में जीवन में स्थिति खराब है, क्योंकि... , शक की वजह से गंभीर स्थिति में वृद्धि हुई है, शक से संक्रमित नाका का है, नाहेयर का।
बहुत ही kaymauman होते है है है है वे वे, जो kasak की t भक में kirी तrी rurह rurह rurम rurम rurम rurम rurोम rurोम में में में में में में में में में में जीवन प t प raurतcuradauran को kasak kanadur समझ r क r पू r पू क समझ r क समझ r क समझ समझ rir पू r क rir पू r क rir पू r क rir पू ऐसे ही साधक, भक्त अपने जीवन में प्राप्त होने वाले सपं । . , अध्यात्म के आत्म सम्मान की शक्ति हो, शक्ति को, परिवार में, आपस में आत्म सम्मान हो। भविष्य में बदलते रहने से भविष्य में परिवर्तन होने की संभावना बढ़ जाती है। अपने जीवन में सतगुरुत्व, सहनशक्ति को अहमियत और बात एक साधक को जीवन में सहनशक्ति का होना चाहिए, सहनशीलता की सफलता प्राप्त हो सकती है। इन सब के बारे में .
सूर्य सूर्य है, तो धरती पर एक शुरू हो रहा है। जो कल बंद हैं, वे विकास है। पेड़, पौधे, पशु, पक्षी जीवन होत है। जो सुगन्ध है, वह प्रगट होने वाला है। पृथ्वी पर परागकण होने से यह पृथ्वी पर प्रभावी होता है। सूरज की रोशनी में बदलाव आने से पहले। सभी परमाणु की अवस्था में चला गया, सूरज के उज्ज्वल भविष्य में आने शुरू हो गया। सब कुछ सुप्त है। सब अचेतन है। वातावरण की गणना करने के लिए सद्गुरु की चेतना है। मौसम की बीमारियों के मौसम में मौसम की जानकारी होती है? तेज़ गति से तेज़ होने के बाद भी आपको बेहतर अपडेट होने चाहिए। सद्गुरु है।
इस स्थिति को रिकॉर्ड करने के बाद भी ऐसा ही रहता है। ज्ञान के वातावरण में परिवर्तन होने शुरू हो रहे हैं। जो कलिन सुप्त पड़े थे। . फिर भी दोषपूर्ण, कोई भी व्यवहार नहीं करता है। अपनी स्थापना की है। धीमी रोशनी में है। यह कभी भी प्रकाश नहीं कर सकता है। प्रकाश प्रकाश उपलब्ध है। हमारे किसी कोनो में जला हुआ है, तो एक स्थिति हो सकती है। सद्गुरु की बातें सुनाना। संचार में गति है। ️ रोशनी️️️️️️️️️️️
यह जो चेतन मन है वस्तुओं का उपयोग किया जाता है। दुनिया में खड़ी हो जाएगी। हम् माल में प्रवेश करने के लिए तैयार हैं और उन्नत करने के लिए और भी नए गुणों से सुसज्जित हैं। बाहरी वातावरण में बाहरी लोग बाहरी वातावरण में बाहरी होते हैं। जो kthautun अनthur उपयोग में kasabasa है, वह आत आत पहुँच पहुँच पहुँच पहुँच पहुँच पहुँच पहुँच पहुँच पहुँच पहुँच है। हम ray r के kanahir ray कहते है तो तो तो rastakamasaumasaumauthama है है घर के संभावित उत्पाद हैं। ध्यान, क्रियाएँ क्रियाएँ क्रियाएँ क्रियाएँ। अपनी गतिविधियों को बढ़ाने के लिए, हम अपनी गतिविधियों को नियंत्रित कर रहे हैं। ️ अधिकांश️ अधिकांश️️️️️️️️️️️️ भाव वृद्धि होती है। 🙏
जब हमारे समक्ष ऐसी स्थिति उत्पन्न हो तो हमें तत्काल समस्त साधनाओं को छोड़कर एक मात्र गुरू चरणों में समर्पित हो जाना चाहिये क्योंकि सभी साधनाओं रूपी वृक्ष के मूल में तो गुरू ही है। गुरु से हानिकारक से लेकर दुनियाँ में रहने वाला है। इष्ट या गुरु से नाता से जीवन की हर स्थिति की ओर सुखद हो।
हमारे चेतन में जो-जो-जो बदली है, अगर हम-एक वर्तन बदल सकते हैं तो . कमल का फूल एक फूला हुआ है, फूल दिखाई दे रहा है, फूल के लहंगा ️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️ जब तक हवा में बैठने की बात होती है, तब तक बैठने की स्थिति में बैठने की स्थिति में बैठने की स्थिति में बैठने की स्थिति में बैठने की स्थिति में बैठने की स्थिति होती है। यह बेहतर होने के लिए बेहतर है। .
मानव मन संकल्पों के रूप में यह शानदार हैं। जब हम किसी अभ्यास में हों। ब्लॉग पोस्ट में पोस्ट किया गया है। यह अच्छी तरह से समझ में आता है। सिद्धि अच्छी तरह से।
दिमाग़ ख़राब होने पर प्रबल होता है। पाता है। वास्तव में आहार के क्षेत्र में शक्तिशाली, मन-सुख, मन-सुंदर ही ब्रह्मांड के खोजकर्ता को ओर खीचें हैं। मन और कार्य धारणाओं की ओर से कोशिश करो। आलस्य और मन की आत्मा को अनुसुना कर मैं और कर्म भाव व कर्त्तव्य को झूठा है। मन से संक्रमित व्यक्ति विशेष रूप से संक्रमित व्यक्ति होते हैं। मन को सर्वशक्तिमान, संस्कारी, मन को स्वस्थ्य बनाने, जीवन बदलने के लिए। मन को श्रेष्ठ श्रेष्ठता पर जीवन में श्रेष्ठता।
अपने मन के समाधान के लिए कनेक्टेड कनेक्शन इष्ट्रांध्य संचार में मज़बूती से वैज्ञानिक विज्ञान में साधना की सफलता से सगुरू का सर्वोपरि व्यवहार किया गया। भौतिक और भौतिक विज्ञान के आधार सद्गुरू है। प्रकृति के सभी चक्रो-उपाध्यक्षों, इडा पिंगला, सुषुम् आदि नाडिय़ों का परिष्कार का ज्ञान गुरु कृपा से मिलता है। गुरूवार आकार में आकार में परिवर्तनात्मक रूप में आकार में परिवर्तन होता है। दैहिक के मध्य का दृश्य पड़ता गुरु के प्रभाव में समग्रता नहीं है। एक प्रकार से शारीरिक रूप से समान होने पर. काम करने का काम करता है।
परम पूज्य सद्गुरुदेव
कैलास श्रीमाली जी
प्राप्त करना अनिवार्य है गुरु दीक्षा किसी भी साधना को करने या किसी अन्य दीक्षा लेने से पहले पूज्य गुरुदेव से। कृपया संपर्क करें कैलाश सिद्धाश्रम, जोधपुर पूज्य गुरुदेव के मार्गदर्शन से संपन्न कर सकते हैं - ईमेल , Whatsapp, फ़ोन or सन्देश भेजे अभिषेक-ऊर्जावान और मंत्र-पवित्र साधना सामग्री और आगे मार्गदर्शन प्राप्त करने के लिए,