चित्त सरल और एकाग्र बनाने वाले उपाय क्रियायोग की क्या पहचान है? उसका स्वरूप है अथवा क्रियायोग किसे कहते है? इस प्रश्न के उत्तर में पातंजल योग सूत्र कहता है-
तप, स्वाध्याय और ईश्वर-प्रणिधान क्रियायोग है।
मानव शरीर इतना रहस्यमय है, कि हजारों वर्षो से वैज्ञानिक, चिकित्सक, योगी व साधक इसके रहस्य को समझने का प्रयत्न कर रहे है और प्रत्येक बार यही अनुभव होता है, कि अभी बहुत कुछ जानना है। फिर भी मानव का यह प्रयत्न रहा है कि वह अधिक से अधिक इस बारे में ज्ञान अर्जित करे और अपने ज्ञान का अनुभव आने वाली पीढ़ी को दें।
गहराई से विचार करने पर स्पष्ट होता है कि मानव मन दो हिस्सो में विभक्त है- अन्तर्मन एवं बाह्यमन। हम इसे अन्तश्चेतना तथा बर्हिश्चेतना भी कह सकते है। इससे अन्तश्चेतना सर्वदा सक्रिय शुद्ध एवं निर्मल बनी रहती है। मानव जो भी दैनिक कार्य व्यवहार अपनाता है, उसकी प्रेरणा में बहिश्चेतना की भूमिका महत्त्वपूर्ण होती है, अन्तश्चेतना ही नहीं, क्योंकि अन्तश्चेतना मानव को विशुद्ध और उसमें देवत्व बनाए रखने में सहायक होती है।
क्रिया योग में व्यक्ति अपनी बहिश्चेतना का सम्पर्क अन्तश्चेतना से करता है और अन्तश्चेतना प्रायः सभी विकारों से मुक्त रहती है। उस पर न तो किसी प्रकार के विकारों का प्रभाव पड़ता है और न ही वह बहकावों में आती है, क्योंकि उसमें पूर्ण देवत्व का भाव होता है। यह अन्तश्चेतना ही मानव को सही अर्थो में मानव बनाए रखती है और देवत्व की ओर अग्रसर करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इसलिए बहिश्चेतना को अन्तश्चेतना से जोड़ने की क्रिया महत्त्वपूर्ण होती है और मानव को विकारों से मुक्त कराने का यह एक सुन्दरतम प्रयास है।
जब अन्तर्मन और बाह्यमन परस्पर जुड़ जाते है तो इन दोनों मन जुड़ने की प्रक्रिया में व्यक्ति एक दिव्य प्रकाश की अनुभूति अपने अन्दर महसूस करने लगता है, जिससे उसके तनाव समाप्त होने लगते है। उसे आनन्द की अनुभूति होने लगती है और वह समझ लेता है, कि वास्तविक सुख हमारे अन्दर मौजूद है, जिसे कहीं बाहर से नहीं लाना पड़ता है।
क्रिया योग के लिए साधनात्मक मार्ग एक सबल एवं व्यवस्थित मार्ग के रूप में अपनाया जा सकता है। इसमें ज्यादा कठिन एवं यौगिक क्रियाएं, व्यायाम, आसन अथवा हठ योग की क्रियाओं की आवश्यकता नहीं होती है, अपितु अपने दैनिक कार्य को सम्पादित करते हुए प्रतिदिन कुछ समय नित्य मंत्र जप कर अपने लक्ष्य तक पहुँच सकते है।
इस प्रयोग में आपको नित्य एकटक होकर यंत्र पर देखते हुए जप करना है, इससे ध्यान की स्थिति प्रारम्भ होती है। प्रारम्भ में ही घर की समस्याएं ऑफिस की उलझने स्वतः ही कम हो जाएंगी और आपको स्पष्ट मार्ग मिलने लगेगा।
इस प्रयोग को सम्पन्न करने पर निर्विचार मस्तिष्क की अवस्था आने लगती है, क्योंकि हमारे मस्तिष्क में एक सैकण्ड में लाखों विचार आकर चले जाते है, हम भविष्य के ताने-बाने इन विचारों से जोड़ते रहते है और इनका दुष्प्रभाव यह होता है कि मस्तिष्क के कोमल तन्तुओं पर अधिक दबाव पड़ता है और व्यक्ति मानसिक पंगु हो जाता है और उसके मस्तिष्क का विकास नहीं हो पाता है।
विचार शून्य की स्थिति में व्यक्ति अपने लघु देह व लघु परिवेश से कटकर समस्त ब्रह्माण्ड का एक अंश बनने की प्रक्रिया में होता है और तब उसे भावना रखनी चाहिए-मैं असीमित शक्ति के रूप में एक पुंजीभूत रूप में समस्त ब्रह्माण्ड में जो कुछ भी व्याप्त है, उसमें विस्तारित हो रहा हूं।’ यह मात्र कल्पना का विषय नहीं है वरन इस समस्त ब्रह्माण्ड में ईश्वर तत्व का जो विस्तार है और जिसके द्वारा ही तरंगों का संचरण सम्भव हो पाता है, उसके द्वारा व्यक्ति अपनी मानसिक तरंगो का विस्तार कर सकता है। एक स्थान पर बैठ कर ही सैकड़ों मील दूर बैठे व्यक्ति को आज्ञा दी जा सकती है।
जो साधक अपने जीवन में परम लक्ष्य को प्राप्त करना चाहें, वे इस साधना को सम्पन्न कर आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त करने का सुन्दर सौभाग्य प्राप्त कर सकते है।
इस तरह उक्त भावना का मनन धीरे-धीरे पांच या दस मिनट तक करें, ताकि इन विचारों की स्थायी छाप मन पर पड़ती रहे। इसके पश्चात् गुरूदेव जी को प्रणाम कर नित्य प्रयोग सम्पन्न करें।
8. पांच दिन के पश्चात् नित्य प्रातः 4 बजे से 6 बजे के बीच में कभी भी 10 मिनट तक उपरोक्त क्रम संख्या 6 का अनुसरण करें।
विशेषः- साधना प्रारम्भ करने से पूर्व नित्य क्रम में नेति व वस्ती आदि क्रियाएं और हल्का सा व्यायाम कर ले, तो ज्यादा उचित है। प्रयोग सम्पन्न करने के उपरान्त हल्का फलाहार या दूध अपनी सुविधानुसार ग्रहण कर लें, तत्पश्चात् ही अपने दैनिक कार्य को सम्पादित करें।
प्राप्त करना अनिवार्य है गुरु दीक्षा किसी भी साधना को करने या किसी अन्य दीक्षा लेने से पहले पूज्य गुरुदेव से। कृपया संपर्क करें कैलाश सिद्धाश्रम, जोधपुर पूज्य गुरुदेव के मार्गदर्शन से संपन्न कर सकते हैं - ईमेल , Whatsapp, फ़ोन or सन्देश भेजे अभिषेक-ऊर्जावान और मंत्र-पवित्र साधना सामग्री और आगे मार्गदर्शन प्राप्त करने के लिए,