पृथ्वी दिवस (Earth Day) अप्रैल को दुनिया भर में मनाया जाने वाला एक वार्षिक कार्यक्रम है। ग्रह को समर्पित विशेष दिन पर्यावरण संरक्षण के लिये समर्थन का आवाहन करता है। इस विशेष दिन पर हम पर्यावरण की बढ़ती समस्याओं पर जोर देते हैं, जिसमें अधिक जनसंख्या, जैव विविधता का नुकसान, ओजोन परत का नुकसान और बढ़ता प्रदूषण शामिल हैं।
पृथ्वी दिवस पर लाखों लोग प्रदूषण और वनों की कटाई जैसे पर्यावरणीय मुद्दों पर चर्चा करने के लिये जुड़ते हैं। बहुत से लोग विभिन्न जलवायु मुद्दों के बारे में युवा दिमाग को शिक्षित करने के लिये पर्यावरण साक्षरता के विषयों पर चर्चा करने के लिये कार्यक्रमों में भाग लेते हैं और आयोजन करते हैं। पृथ्वी दिवस का विचार पहली बार 1969 में यूनेस्को सम्मेलन में शांति कार्यकर्ता जान मैककोनेल (John McConnell) द्वारा दिया गया था। प्रारंभ में इस दिन की अवधारणा पृथ्वी का सम्मान करने और उस पर शांति बनाये रखने के लिये थी। 1990 में डेनिम हेस (Denis Hayes) ने विश्व स्तर पर इस दिन को मनाने का विचार बनाया और इसमें 141 देशों ने भाग लिया। साल 2016 में, पृथ्वी दिवस को जलवायु संरक्षण के लिये समर्पित कर दिया गया। इसके लिये एक अंतर-सरकारी संधि, पेरिस समझौते पर हस्ताक्षर किये गये। 22 अप्रैल, 2024 को पृथ्वी दिवस के 54 वर्ष पूरे होंगे।
22 अप्रैल एक महत्वपूर्ण डेट है, क्योंकि इसी समय उत्तरी गोलार्ध में वसंत और दक्षिण गोलार्ध में शरद ऋतु शुरू होती है। संयुक्त राज्य अमेरिका में ”Spring Break” मनाया जाता है, इसलिये स्कूल बंद रहते हैं। पहला पृथ्वी दिवस समारोह दो हजार काँलेजों और विश्वविद्यालयों लगभग 10,000 प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालयों और संयुक्त राज्य भर में सैकड़ों समुदायों में हुआ था। अप्रैल 1970 में लगभग 20 मिलियन अमेरिका पर्यावरण सुधार के पक्ष में शांतिपूर्ण प्रदर्शन के लिये बसंत की धूप में निकले।
गेलाँर्ड नेलसन (Gaylord Nelson) ने कहा कि पृथ्वी दिवस का नाम तय करने में उन्होंने अपने दोस्तों की मदद ली थी। जूलियन कोएनिग (Julian Koenig) नेल्सन की आयोजन समिति में थे। यह विचार गेलाँर्ड के जन्मदिन के संयोग से आया था और इसके लिये 22 अप्रैल को चुना गया था। राँन काँब ने एक प्रतिक बनाया और इसे 25 अक्टूबर, 1969 को प्रकाशित किया। ये E और D अक्षरों का संयोजन था। बाद में, यह प्रतीक पृथ्वी दिवस से जुड़ा और इसका नाम अर्थ डे (Earth Day) पड़ गया।
इस अभियान की ओर अधिक ध्यान आकर्षित करने के लिए कुछ लोग 16 अप्रैल से 22 अप्रैल तक अर्थ वीक (Earth Week) मनाते हैं। यह सप्ताह स्वयं के साथ दूसरों को अर्थ वीक, जलवायु परिवर्तन और इसे रोकने के लिये कार्य करने की आवश्यकता के बारे में शिक्षित करने के लिये समर्पित है। दुनियाभर में लगभग 193 देश पृथ्वी दिवस मनाते हैं। पहले यह दिवस केवल संयुक्त राज्य अमेरिका में मनाया जाता था। हालांकि 1990 में डेनिस हेस ने इस दिन को विश्व स्तर पर मनाने का विचार बनाया और इसमें 141 देशों ने भाग लिया था।
पृथ्वी पर जीवन को बनाये रखने के लिये इस धरती व पर्यावरण को बचाना बहुत जरूरी है। इस पृथ्वी दिवस पर हम सभी को अपनी धरती को हरा भरा और बेहतर बनाने का संकल्प लेना चाहिये। हमें प्रण लेना चाहिये कि हम वायुप्रदूषण और जल प्रदूषण को कम करने के लिए प्रयास करेंगे। हमें ज्यादा से ज्यादा पेड़ उगाने चाहिये। जंगल बचाने होंगे। वन्य जीवन की रक्षा करनी होगी। जीव जंतुओं को बचाना होगा। पॉलिथिन पर बैन के नियम का पालन करना चाहिये क्योंकि यह पर्यावरण के लिये खतरनाक है। हमें गैर-नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोग करने के बजाय नवीकरणीय संसाधनों जैसे सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, जल विद्युत आदि पर फोकस करना चाहिये। हम इस विशेष दिवस (Earth Day) पर अपना छोटा सा योगदान दे सकते है जिससे समस्त ब्राह्माण्ड मे जीवन के लिये उपयुक्त एकमात्र ग्रह को हम बचा सके और अपनी अगली पीढ़ी को एक बेहतर वसुंधरा दे सके।
यह दिन है इस बात के चिंतन मनन का कि हम कैसे अपनी वसुंधरा को बचा सकते हैं? ऐसे कई तरीके हैं जिसे हम अकेले और सामूहिक रूप से अपनाकर धरती को बचाने में योगदान दे सकते हैं। वैसे तो हमें हर दिन को पृथ्वी दिवस मानकर उसके संरक्षण के लिये कुछ न कुछ करते रहना चाहिये, लेकिन अपनी व्यस्तता में व्यस्त इंसान यदि विश्व पृथ्वी दिवस के दिन ही थोड़ा बहुत योगदान दे तो धरती के ऋण को उतारा जा सकता है। हम सभी जो कि इस स्वच्छ श्यामला धरा के रहवासी हैं उनका यह दायित्व है कि दुनिया में कदम रखने से लेकर आखिरी साँस तक हम पर प्यार लुटाने वाली इस धरा को बचाये रखने के लिये जो भी हो सकें करें क्योंकि यह वही धरती है जो हमारे बाद भी हमारी निशानियों को अपने सीने से लगाकर रखेगी।
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