भगवान शिव की आराधना गृहस्थ साधकों के लिये अत्यन्त उपयोगी है, क्योंकि भगवान शिव समस्त बाधाओं का निराकरण करने में समर्थ हैं। पूर्णतः निर्लिप्त और निराकार होते हुये भी भगवान शिव पूर्ण गृहस्थ हैं, इसी कारण एक ओर जहां वे योगियों के इष्ट हैं, वहीं दूसरी ओर गृहस्थों के भी आराध्य देव हैं। भगवान शिव की आराधना प्रत्येक वर्ग करता है- ‘गृहस्थ’ इस कामना के साथ, कि उसे पूर्ण रूप से गृहस्थ सुख प्राप्त हो सके; ‘स्त्रियां’ अखण्ड सौभाग्य की प्राप्ति के लिये; ‘कुमारियां’ श्रेष्ठ पति की प्राप्ति के लिये; वहीं दूसरी ओर ‘योगी’ शिवत्व प्राप्ति के लिये उनके ब्रह्मस्वरूप की आराधना करते हैं।
भगवान शिव सिर्फ एक रूप में ही नहीं, अपितु विभिन्न रूपों में साधक की मनोकामनाओं की पूर्ति करते हैं। वे एक ओर तो कुबेराधिपति हैं, वहीं महामृत्युंजय स्वरूप में विभिन्न रोगों के हर्त्ता हैं, औघड़दानी बन कर भी रंक को राजा बनाने की सामर्थ्य रखते हैं; दूसरी ओर स्वयं श्मशान में रहते हुये, भस्म लपेटे हुये उसी प्रकार से आनन्दित रहते हैं, जिस प्रकार वे कैलास पर्वत पर भगवती पार्वती के साथ रहते हैं। दोनों वर्ग के साधकों को दृष्टिकोण में रखते हुये इस महाशिवरात्रि पर्व के शुभ अवसर पर सद्गुरूदेव जी द्वारा विशेष रक्षा सूत्र ‘अमोघ शिव महामृत्युंजय योग-भोग प्रदारक रक्षा सूत्र’ तैयार किया गया है।
यह ‘अमोघ शिव महामृत्युंजय योग-भोग प्रदारक रक्षा सूत्र’ जो कि ‘क्रीं’ व रूद्र महाप्रयोग से अभिमन्त्रित है, सारे निर्गुणता, रोग-शोक, प्रपंचों, कलंक, द्वन्द्वों, आसक्ति के बन्धन, दुःखों को दूर तथा सभी मनोकामनायें पूर्ति करने में सक्षम है। शिवरात्रि के महापर्व पर सभी साधक ‘अमोघ शिव महामृत्युंजय योग-भोग प्रदारक रक्षा सूत्र’ प्राप्त कर धारण अवश्य करें।
प्राप्त करना अनिवार्य है गुरु दीक्षा किसी भी साधना को करने या किसी अन्य दीक्षा लेने से पहले पूज्य गुरुदेव से। कृपया संपर्क करें कैलाश सिद्धाश्रम, जोधपुर पूज्य गुरुदेव के मार्गदर्शन से संपन्न कर सकते हैं - ईमेल , Whatsapp, फ़ोन or सन्देश भेजे अभिषेक-ऊर्जावान और मंत्र-पवित्र साधना सामग्री और आगे मार्गदर्शन प्राप्त करने के लिए,