मातंगी देवी को किसी भी प्रकार का इंद्रजाल और जादू के प्रभाव को नष्ट करने की शक्ति प्रदाय है। रूप, रस, यौवन, विलास, ऐश्वर्य, गृहस्थ सुख एवं भोग को प्रदान करने वाली दस महाविद्याओं में श्रेष्ठ भगवती मातंगी हैं जो जीवन के प्रत्येक पक्ष को उजागर करने की क्रिया का नाम है, जिससे जीवन में पूर्णता प्राप्त होती है।
आज के इस कागजी युग में जीवन यत्रवत, ठूंठ और नीरस बन गया है। जीवन में सरसता, आनंद, भोग-विलास, प्रेम, सुयोग्य पति-पत्नी प्राप्ति के लिए मातंगी महाविद्या कवच धारण करना अत्यंत श्रेष्ठ माना जाता है। इसके अलावा किसी व्यक्ति में वाक् सिद्धि के गुण भी आ जाते हैं। आशीर्वाद देने की शक्ति आ जाती है। उसकी वाणी में माधुर्य और सम्मोहन व्याप्त हो जाता है और जब वह लोगों के बीच बताता है, तो सुनने वाले उसकी बातों से मुग्ध हो जाते हैं। इससे शारीरिक सौन्दर्य एवं कान्ति में वृद्धि होती है, रूप यौवन में निखार आता है। इस कवच के माध्यम से हृदय में जो आनंद रस का संचार होता है, उमंग, प्रेम और हास्य का संचार होता है, उसके फलतः हजारों कमजोर और तनावग्रस्त लोग भी प्रसन्न एवं आनंद से ओत-प्रोत बना रहता है।
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