इसका उत्तर यही मिलेगा, कि ऐसा संभव नहीं हो पाता, वास्तविक जीवन में तो विपत्ति आती है, बार-बार बाधाये उपस्थित होती है, कारणों की व्याख्या करने से उनकी शांति नहीं होती, उन्हें दूर करने के उपाय से ही आनंद की रसधारा बह हो सकता है।
एक बड़े शॉट में सुस्वाद, श्रेष्ठ दूध भरा है और आप इसका पान करना चाहते हैं कि इस दूध में खटाई की कुछ गंदगी डाल दें, तो क्या होगा? सारे के सारे पात्र का दूध अपना गुण खो देंगे, फट जाएगा, पीने के लिए नहीं रहेंगे, परिणाम के अलावा क्या करित है?
अमृत में भी विष का धब्बा डाल देता है, तो पूरा का पूरा अमृत विष हो जाता है। आपने बहुत प्रयास कर जीवन में अमृत कलश भरा, आनन्द का प्रवाह प्राप्त करने का प्रयास किया, लेकिन किसी ने विष की धुंध डाल ही दी।
इसी प्रकार जीवन में चार बड़े विष हैं, जो जीवन में रहते हुए आनन्दित नहीं हो सकते, यह चार जीवन के विष हैं- 1-शत्रु बाधा, 2-कलह, 3- तिरस्कार, 4-भय। ये चारों स्थितियां विष हैं और विष को अपने जीवन से दूर करने का, इस विष को नष्ट करने का एकमात्र उपाय है- 'गुरु कृपा', गुरु कृपा से साधना में सिद्धि।
भगवती बगलामुखी की साधना तथापि शत्रुनाश के लिए स्वयं सिद्ध है। बगलामुखी भयास्पद देवी नहीं अपितु पीताम्बर पट धारी भगवान श्रीमन्नारायाण की ही निगाह 'पीताम्बरा' है यही उनका उपमा का रहस्य है। हालांकि उनका प्रभाव किसी अन्य महाविद्या साधना के समान तीव्र और तीव्र नहीं है।
बगलामुखी देवी का स्वरूप ही दस महाविद्याओं में सबसे निराला है, त्रिनेत्री देवी अपने हाथ में मुग्दर, वज्र, पाशा और शत्रु की जीभ के लिए तीव्रतम रूप में तीनों लोगों को स्तंभित कर देने वाला संदर्भ है।
ऐसा तीव्र स्वरूप और इस तीव्र स्वरूप में सोलह शक्तियाँ समाहित हैं, ये 16 शक्तियाँ हैं- 1- मंगला, 2- स्तम्भिनी, 3- जम्भिनी, 4- मोहिनी, 5-वश्या, 6 बलाय, 7- अचलाय, 8- भूरा, 9 - कल्मषा, 10- धात्री, 11 कलना, 12-कालकर्षिणी, 13- भ्रामिका, 14-मन्दगमना, 15- भोगस्था, 16- भाविका। यह तीव्र तंत्र विशेष उद्देश्य की व्याख्या करते हुए जुड़े हुए हैं, ऊपर लिखे जो चार विशेष दोष हैं, उनके निवारण के लिए याचिका संकल्प लेकर यह प्रयोग करने लगते हैं।
कई सामान्य साधक, जिनमें पूजन विधि का पूर्ण ज्ञान नहीं होता है, उनमें साधना में गलतियाँ हो सकती हैं, इस प्रकार शास्त्रों में कथन है, कि यदि पहले गुरु पूजन कर साधना की जाए, तो कोई साधनात्मक दोष नहीं रहता।
इस पैसे को 28 सेकंड या किसी भी पक्ष की नवमी को संपन्न कर सकते हैं। इस साधना को रात या दिन में किसी भी समय संपन्न किया जा सकता है। इसमें साधक साधन को करते समय पीला कपड़ा पहनकर पीले आसन पर उत्तर की ओर मुख करके बैठें। साथ ही सभी पूजा की सामग्री- अक्षरत, दीपक का तेल, दीपक की बाती को भी पीले रंग में रंग लेना चाहिए। पूजन के लिये यदि पुष्पों का प्रयोग करें तो पीले पुष्पों का ही प्रयोग करें।
इसके लिए साधक को कहा कि वह अपने सामने लकड़ी के बजोट पर पीले वस्त्र बिछाकर उस पर 'बगलामुखी यंत्र' को स्थापित कर दे। यंत्र के नीचे की ओर दीपक जलाएं। सर्वप्रथम दोनों हाथ जोड़कर एक दूसरे के श्लोक को देखने वालों का ध्यान आकर्षित करते हैं-
यंत्र पर अक्षरत, पुष्पादि चढ़ाई चढ़े हुए निम्न बोलकर बगल में स्थित मंत्र की संपूर्ण शक्तियों का पूजन करें-
ऊँ मंगलायै नमः। ऊँ स्तंभिन्यै नमः।
ऊँ जृम्भिनी नमः। ऊँ मोहिनी नमः।
ऊँ वश्यै नमः। ऊँ बलायै नमः।
ऊँचलायै नमः। ऊँ भूधरायै नमः।
ऊँ कल्पशायै नमः। ऊँ धात्र्यै नमः।
ऊँ कलनायै नमः। ऊँ कालर्षिण्यै नमः।
ऊँ भामिकायै नमः। ऊँ मंन्दगमनायै नमः।
ऊँ भोगस्थै नमः। ऊँ भाविकै नमः।
'पीली हकीक माला' से 3 दिन तक निम्न मंत्र की 03 माला नित्य जप करें-
साधना समाप्ति के बाद प्लेट एवं यंत्र को नदी में विसर्जित कर दें।
बगलामुखी साधना का प्रभाव साधक को अवश्य ही प्राप्त होता है और यह निश्चित होता है कि चाहे बड़े से बड़ा संकट आए और साधक स्नान कर एक वैश्विक नेत्रिका मंत्र का जप कर ले, तो उसे समस्या और संकट का हल कारण प्राप्त हो जाता है। ऊपर जो साधना का विवरण दिया गया है, यदि साधक यह साधना के साथ सर्व स्वर स्वर महातपा महौदरी दीक्षा ग्रहण करता है तो निश्चित रूप से इस उच्चकोटि की महाविद्या में साक्षीभूत स्वरूप में बगलामुखी सिद्धि पूर्णरूप से प्राप्त होता है, जिस प्रकार अग्नि का स्पर्श होते ही कपूर जल जाता है, उसी प्रकार जहां बगलामुखी पीताम्बरा की स्थापना होती है, उस साधक के जीवन से शत्रु दोष, भय दोष, राज्य बाधा दोष, तिरस्कार दोष, कलह दोष भस्म हो जाता है।
प्राप्त करना अनिवार्य है गुरु दीक्षा किसी भी साधना को करने या किसी अन्य दीक्षा लेने से पहले पूज्य गुरुदेव से। कृपया संपर्क करें कैलाश सिद्धाश्रम, जोधपुर पूज्य गुरुदेव के मार्गदर्शन से संपन्न कर सकते हैं - ईमेल , Whatsapp, फ़ोन or सन्देश भेजे अभिषेक-ऊर्जावान और मंत्र-पवित्र साधना सामग्री और आगे मार्गदर्शन प्राप्त करने के लिए,