क्या चन्द्रमा आप पर जादू करता है या आप ही उसकी अद्भुत छटा चांदनी और शीतलता में आपको भी देते हैं। क्या गुलाब की सुगन्ध आपको सम्मोहित करती है या आप ही उसका अनुभव कर उसका सुगन्ध में बह जाते हैं? चन्द्रमा और गुलाब दोनों की ही दिव्यता हर क्षण, हर दिशा में प्रवाहमान रहती है। वह तो आप पर स्थायी है, कि आप उससे किस प्रकार प्रभावित होते हैं और दिव्य पुरुष का सौन्दर्य तो होता ही है, कि आप मुगल बिना नहीं रह सकते। योगेश्वर के दृष्टिपात से जीवन में सौन्दर्य, सुगन्ध, संगीत, हास्य और जीवनता का उदय हो रहा है। सौन्दर्य भी ऐसा, कि केवल उस पुरुष तक सीमित न राय, वह स्वत: ही चारों ओर निशान लगाता है। फिर कौन होगा, जो सौन्दर्य और वह भी निष्कलंक सौन्दर्य से प्रभावित न हो?– और उसे अपने रोम-रोम में आत्मसात करने की इच्छा न हो उसका ध्यान निर्मल है, तो वह उस सौन्दर्य के प्रवाह में स्वयं ही भगवान श्रीकृष्ण रूपी सभी कलाओं से युक्त होने की फोटो को हाइलाइट किया जाता है। क्योंकि उसकी सौन्दर्य में, उसकी आँखों में, उसके मुख मंडल पर एक दिव्य छटा, एक ब्रह्म सत्य और तेज पुंज की आभा होती है, अष्टगन्ध शरीर में प्रवाहित होती रहती है, कंठ से उच्चारित होते हैं दिव्य वचन साथ ही बहते रहते हैं एक अद्भुत संगीत और इस संपूर्ण दिव्यता से पौरूषवान व्यक्तित्व का निर्माण होता है।
संमोहन, संयम आदि कोई विशेष प्रक्रिया या जीवन शैली नहीं है, वर्ण मूल चिंतन एक ही है, कि किस प्रकार से मन को सन्तुलित किया जाए, मोहित किया जाए और वह भी स्वयं अपने चित्त को ही नहीं, वर्ण के मन को भी, जब ऐसा हो जाएगा तो व्यक्ति अपने भीतर ही अनुभव करता है एक दिव्यता, चैतन्यता, सुगन्ध, संगीत, जो आपके जीवन को ही नहीं, आपके आस-पास के लोगों के जीवन को भी प्रेम, हास्य निर्मलता, शांति और चैतन्यता से साराबोर करोगे। जिसे श्रीकृष्ण स्वरूप चौसठ कला युक्त पौरूष शक्ति दीक्षा कहा गया है।
प्राप्त करना अनिवार्य है गुरु दीक्षा किसी भी साधना को करने या किसी अन्य दीक्षा लेने से पहले पूज्य गुरुदेव से। कृपया संपर्क करें कैलाश इद्धाश्रम, जोधपुर पूज्य गुरुदेव के मार्गदर्शन से संपन्न कर सकते हैं - ईमेल , Whatsapp, फ़ोन or सन्देश भेजे अभिषेक-ऊर्जावान और मंत्र-पवित्र साधना सामग्री और आगे मार्गदर्शन प्राप्त करने के लिए,