हाँ! कुछ ऐसा ही होता है यह नववर्ष, जो जीवन में रंग-बिरंगे रंगों को भर देता है, जो नई उम्मीदों, नए उत्साह, नए जोश को अपने में समेटे हुए होता है, क्योंकि एक नए साल का शुभारंभ कर व्यक्ति अपने विचार, उसकी दृष्टि को एक नई दिशा दिखाई देती है, जिससे वह वर्ष भर विकास की ओर कम हो जाता है और उसके जीवन का एक विकासवादी वर्ष बन जाता है।
'पुराना साल' आपके जीवन की खट्टी-मीठी, खुशी और कादवी यादें बूढ़े उम्रदराज की ओर झलकता है, जबकि 'नया साल' नव शिशु के रूप में खुशी, उमंग, उत्साह, जोश और महत्वाकांक्षाओं की गठरी के लिए सामने खड़ा होता है ।
एक नवजात शिशु के जन्म की तरह हर व्यक्ति 12 महीने के बाद नव वर्ष के उदय की बेसब्री से इंतजार करता है, जिसके आगमन से उसके चेहरे पर उसी प्रकार की खुशी, मूह, उमंग, प्रफुल्लता छा जाती है, क्योंकि उसके जीवन में फिर उसके जीवन में एक बार फिर कुछ नया उद्घोषित होता है। हर व्यक्ति उस क्षण से एक नए जीवन की शुरुआत करता है और नयापन तो होता ही है खुशी, उमंग, आनंद और उल्लास से भर देने के लिए।
एक माँ जिस प्रकार एक शिशु के भीतर नए संस्कारों को पैदा कर उसका जीवन जिम्मेदार होता है, जिसके आधार पर उस लड़के का पूरा जीवन उसकी माँ द्वारा दिया गया अच्छे व्यक्ति या बुरे संस्कारों पर होता है, ठीक उसी प्रकार हर अपने जीवन में अच्छे या बुरे कार्यों के लिए स्वयं जिम्मेदार होता है।
यदि माँ अपने शिशु में अच्छे विचार, अच्छे संस्कारों को समावेश करती है, तो वह बालक अपने जीवन में सुख, पूर्णता, वैभव, प्रतिष्ठा प्राप्त करता है और यदि बुरे संस्कारों को शामिल करता है प्रविष्ट करता है तो उस बालक का जीवन दुःखी, पीडि़त, अटकल, अड़चन और बाधाओं से सब कुछ होता है।
यदि एक 'नवशिशु' की तरह नए साल में अच्छे कर्मों को प्रविष्ट करता है, तो वह वर्ष उसके जीवन में सुख-सम्पन्नता, वैभव, आनंद और विकास प्रदान करने वाला होता है, जिसके आधार पर ही वह अपने उस वर्ष में श्रेष्ठता रखता है और दिव्यता प्राप्त करता है और व्यक्ति यदि उस वर्ष का व्यवहार ही गलत तरीके से गलत तरीके से करता है तो पीड़ित ही दुःखी, पीडि़त, व्यक्तिपरक, जीवन उसे जड़ मानता है, जिसके लिए उसके जीवन के न्यूनताओं को भटकते हुए और नीरस तरीके से समय व्यतीत हो जाता है।
जैसा कि बीज किसी व्यक्ति की मिट्टी में बोता है, वैसा ही फल प्राप्त होता है, इसलिए हमें चाहिए कि हम 'नववर्ष' का शुभारंभ सुन्दर, नए और अच्छे तरीके से करें।
अपने अच्छे-बुरे कर्मों को एक नया दृष्टिकोण, नए विचार को अपने मानस में सजोते साधारण 'नववर्ष' का स्वागत करता है, जिससे व्यक्ति की वह अपने नए विचार को, अपनी कल्पना को नए ढंग से विस्तार देकर एक नए जीवन की पुष्टि कर सकता है इसलिए, जिससे कि उसके आने वाला समय, नया साल खुशियों से भरा हो, मंगलमय हो, उत्सवमय हो।
इस उत्सव को, इस उमंग को, इस उत्साह को भारतीय साधना ग्रंथों में एक पर्व के रूप में वर्णित किया गया है। इस दिन जहां सामान्य, रवैया और पकड़ बुद्धि का व्यक्ति इस नव वर्ष का स्वागत आधी रात की घोर कालिमा में शराब पीकर, जुआ खेलने वाला, क्लब में जाता है, वहीं एक बुद्धिमान और समझदार व्यक्ति इस वर्ष का स्वागत शुभ तरीके से कर अपने जीवन को धन्यवाद कर लेता है।
शराब और भ्रम में गया समय किसी भी प्रकार से नववर्ष का उत्सव नहीं दे सकता, वह तो व्यक्ति को भ्रम में डुबो देता है, जबकि इसके विपरीत उत्साह, उल्लास और वाद्यात्मक वातावरण से व्यक्ति एक नई दिशा, एक नई रोशनी प्राप्त कर अपने जीवन को श्रेष्ठता और उच्चता प्रदान करता है।
उनके जीवन में नव वर्ष का अर्थ ही जीवन शैली में नवता, नया उत्साह और बल भर देना है, जिससे कि यह 'नया वर्ष' हमारे लिए उमंग और उत्साह से भरा हो और यह उमंग, यह जोश, यह बल, यह उत्साह, यह आनन्द, यह श्रेष्ठता हमें मिल इस ''नववर्ष सर्वोन्नति प्रयोग'' के माध्यम से मिल सकती है, जो हमारे जीवन को पूर्ण प्रदान करने वाला है, श्रेष्ठता प्रदान करने वाला है, अद्वितीयता प्रदान करने वाला है। इस प्रयोग के माध्यम से हम कुछ ही घंटों में अपने आगे के पूरे 365 दिनों को संवार सकते हैं। इस विशेष प्रयोग के माध्यम से हम अपने प्रत्येक दिन को आनंद, उमंग और उत्साह से सराबोर कर सकते हैं।
जहां कोई व्यक्ति इस नव वर्ष का आरंभ, जो उसके जीवन के मूल्यांक क्षण होते हैं, उन स्वर्णिम नियमों को, जिनको वह अज्ञानतावश, दृष्टिकोण से हो-हल्ला, नाच-गा कर, जुआ आदि खेल कर जा रहे हैं, वहीं एक वाइज व्यक्ति, साधक या आचार्य विशिष्ट और मूल्यांकात्मक का उचित और साधनात्मक पद्धति से प्रयोग कर अपने जीवन के प्रत्येक दिन को स्वर्णिम, श्रेष्ठ, दिव्य और उत्सवमय बनाता है।
इस विशेष प्रयोग को पूर्णता कर व्यक्ति एक विशेष प्रकार की ऊर्जा शक्ति को अपने भीतर संचित कर लेता है, जिस शक्ति के माध्यम से वह श्रेष्ठता व अनूठीता प्राप्त कर अपने जीवन को पूर्णरूप से साकार कर देता है।
इस प्रयोग के माध्यम से व्यक्ति के शरीर में एक विशेष प्रकार की तेजस्विता और दिव्यता आ जाती है, जिस तेज और बल के माध्यम से वह साल भर का गौरव प्राप्त करता है और तब उसके जीवन में किसी भी प्रकार की कोई नई बात नहीं रहती जाती, क्योंकि इस नव वर्ष के दिव्य, स्वर्णिम शुद्ध का उचित प्रयोग कर वह ऊर्जा शक्ति के माध्यम से अपने जीवन की भौतिक और आध्यात्मिक दोनों में हर जगह सफलता प्राप्त कर ही मानव जीवन की धारणा होती है और यही मानव जीवन की श्रेष्ठता है, अद्वितीय है, संपूर्णता है।
अब यह निर्णय तो किसी व्यक्ति को स्वयं करना है कि वह किस प्रकार के जीवन का सृजन करना चाहता है, दुःखी, पीडित, प्रोजेक्ट और पहलुओं की, या फिर श्रेष्ठता, दिव्यता, आनन्द और पूर्ण प्राप्त जीवन की। यह निर्णय उसका अपना है, कि वह किस प्रकार का जीवन व्यतीत करे।
इस दिन की ''नववर्ष सर्वोन्नति साधना'' को संपन्न कर व्यक्ति स्वयं यह अनुभव कर सकते हैं कि सामान्य घिसे-पिते, उन्माद से भरकर विचित्र प्रकार से समय व्यथित करने की पकड, साधनात्मक क्रिया से इस पर्व को मनाया जा सकता है, तो केवल वह दिन विशेष पर ही नहीं, पूरे वर्ष भर के जीवन में इतना अधिक उल्लास और ऐसी ताजगी आ जाती है, जिसका पहला अनुभव ही नहीं किया हो।
इस प्रयोग को पूर्णता कर व्यक्ति के कदम आप ही उस पथ की ओर बढ़ते हैं, जो पथ उसे नित्य विकास की ओर चकमा देता है, जो साधना के बल से रश्मियों के स्पर्श से 'नववर्ष उत्सव' प्राप्त करता है, जो उस साधक के जीवन में नित्य आनंद, नित्य उत्सव, नित्य छलछलाहट भर देता है और तब उसका प्रत्येक दिन उत्सव हो जाता है, उल्लासमय हो जाता है।
हमें अपने प्राचीन ग्रंथों, शास्त्रों और पुराणों आदि से यह ज्ञात होता है कि हमारे ऋषि, मुनि, योगी हमसे कहीं अधिक श्रेष्ठ और निरपेक्ष थे, परंतु उनकी श्रेष्ठता और निरपेक्षता का रहस्य यह है कि वे प्रत्येक प्रकार के वर्ष की उस निर्देशात्मक चेतना को अपनाकर किया, जिस कारण से वे एक श्रेष्ठ और निरपेक्ष जीवन को निर्मित कर सके।
यदि हम इस दिन के संसाधनों को अपने जीवन में एक बार पूरा कर लें तो हम भी इन न्यूनिटाइजर्स से पड़ोसी के जीवन को श्रेष्ठ, विकासवादी और संपूर्ण जीवन प्राप्त कर सकते हैं।
1 जनवरी 2023 को यह प्रयोग संपन्न हो गया, परन्तु वर्ष में भी नववर्ष प्रगट हो, उन अवसरों पर भी इस प्रयोग को पूरा किया जा सकता है, चाहे वह विक्रमीय संवत् हो या ईस्वी सन्, या अन्य किसी प्रकार का नववर्षारंभ हो।
यह एक दुर्लभ प्रयोग है जिसे प्रत्येक साधक को पूर्ण के साथ पूरा करने ही आते हैं। शास्त्रों में इस वर्ष का घोषणापत्र सूर्योदय से माना जाता है, जिस समय सूर्य अपनी पहली किरणों से संसार को प्रकाशवान करता है, उसी समय इस प्रयोग को गिराया जाना चाहिए और ये तो सूर्योदय से 9:00 बजे के बीच भी इस प्रयोग को प्राप्त करेंगे किया जा सकता है।
साधना
प्रत्येक परिवार के मुखिया को चाहिए कि वह इस दिन प्रातः काल सूर्योदय से पहले उठकर परिवार के अन्य सदस्यों को भी दुनिया दे फिर सभी स्नान आदि से निवृत होकर, शुद्ध स्वच्छ पीले वस्त्रों को धारण कर लें, यदि ऐसा संभव न हो, तो वह अकेला ही इस साधना को पूर्ण करे, इसके अतिरिक्त सामने जलपात्र, अक्षरत, कुंकुम, दुह व दीप, फल, पुष्प, प्रसाद, कोलो आदि से ही मंगवाकर रखें लें।
साधकों को कहे कि वे पूर्ण शांत चित्त होकर आसन पर बैठ जाएं और अपने सामने गुरु यंत्र, चित्र व त्रैलोक्य दें वर्ष यंत्र को स्थापित कर दें। यह यंत्र सिद्ध व प्राण-प्रतिष्ठ युक्त होना चाहिए, फिर इस चित्र व यंत्र के आगे धूप व दीप जलाएं और कुंकुम, अक्षर, पुष्प, चढ़ाएं और गुरू का स्मरण करें त्रैलोक्य विजय माला से मंत्र-जप कर दे।
इस मंत्र का 5 ग्रंथ जप करें और बाद में इस यंत्र व ग्रंथ को किसी मंदिर में भगवान के सामने समर्पित कर दें। यह कोई सामान्य साधना नहीं है, अपितु पूरे वर्ष भर के लिए सभी दृष्टियों से विकास, स्वास्थ्यप्रद एवं रक्षात्मक है।
यह नववर्ष आपके जीवन में विकासमय, उल्लासित, उमंगित, आनंददायक और उत्सव का अवसर प्रदान करने वाला हो, जो आपके जीवन के प्रत्येक क्षण, प्रत्येक दिन को उत्सवमय, नृत्यमय और आनंद से सरोबार कर दे। यही उत्सव, यही नृत्य, यही आनन्द ही तो श्रेष्ठ जीवन है, और आपके स्वप्निल जीवन का साकार स्वरूप है। ऐसा ही सर्वश्रेष्ठ, उत्सवमय और विकासवादी जीवन प्रत्येक साधक रूप में ग्रहण कर सके।
प्राप्त करना अनिवार्य है गुरु दीक्षा किसी भी साधना को करने या किसी अन्य दीक्षा लेने से पहले पूज्य गुरुदेव से। कृपया संपर्क करें कैलाश सिद्धाश्रम, जोधपुर पूज्य गुरुदेव के मार्गदर्शन से संपन्न कर सकते हैं - ईमेल , Whatsapp, फ़ोन or सन्देश भेजे अभिषेक-ऊर्जावान और मंत्र-पवित्र साधना सामग्री और आगे मार्गदर्शन प्राप्त करने के लिए,