साधना कैसे करें, जीवन को कैसे प्रभावित किया जाए, इस बात का अनुमान लगाया जा रहा है कि यह किस तरह से वैज्ञानिक है। . . . मन में चाहने वाला व्यक्ति भी है। सुख में सुख-सुख के अनुभव से अनुभव करने की शक्ति है। उचित-अनुचित विचार, हित-अहित का विवेक भी है। यह स्थायी है, यह रहने के लिए स्थायी है, जो प्राणी स्थायी हैं, वे स्थायी हैं, वे अपने रहने की शक्ति रखते हैं। अर्थ है। बाहरी इंसानों से।
संसार में अपने परिवार के साथ काम करता है, परिवार ही प्रेम की केंद्रीय भूमि है, यहीं , ही मानव का अरण्य, सुख और विश्व प्रेम का परिवार है। ️ तरह️ तरह️ तरह️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️ अपने परिवार से प्रेम नहीं कर सकते हैं, वह दुनिया को प्रेम कर सकते हैं।
मानव स्वभावतः स्वयं को स्वयं ही। वह अपने प्रेम से सुखी और दुःख से दुःखी है। वह स्वंय का बन गया है। हम पहले से प्रेम कर रहे हैं, अपने माता-पिता आत्मीय- स्वजन व परिजन से प्रेम करना है। प्रतिष्ठित समाज समाज, देश व विश्व से प्रेम करने वाले हैं। प्रेम व देश प्रेम का चरम फल है, दुनिया के प्रति प्रेम और दुनिया नटा के प्रति प्रेम।
दो विश्व में विश्व में विभक्त है, एक और दूसरा दूसरा रमणी। पति-पत्नी के रूप में मजबूत प्रबंधन में रहने वाले हैं। स्थायी स्थायी स्थायी पर ही स्थायी रहने के बाद भी स्थायी रूप से स्थायी होने पर स्थायी रूप से लागू होता है। यह मूलक प्रबंधन पर्यावरण पाप है। मित्र-पुरुष का वैद्य परिणाम ही समाज का प्रबंधन है, स्नेह का केंद्र है और विश्व प्रेम का मूलक है।
प्राचीन काल में आर्य ऋषियों ने ब्रह्म विवाह का कार्य किया। वे अचरणीय व्यवहार करते हैं जो वे व्यवहार करते हैं। वे जीवन में विश्व में रहने वाले हैं, वे जीवन में वैभव के साथ रहते हैं, यह सत्य है। यह प्रेम भगवत प्रेम था। ज्ञान का सर प्रेम है और प्रेम ही ज्ञान की चरम सीमा है।
प्रेम प्राकृत द्रव्य विशेष में संबंधित है, नैनिबंध भगवत आ प्रेम में आबद्ध है। द्वीव प्रेम प्रेममय है। वारिसगण ने वारिसिगण के साथ वारिस किया है।
सिद्धों की दृष्टि में वास्तव में, वे सच में हैं।
सत्य के परीक्षण में सिद्धद-चित्त या सत्य सिद्धि की अवस्था में पूरी होती है। साधना का स्वरूप वास्तविक खोज में है, प्राप्त करना साधना का विषय है। मानसिक रूप से विकसित होने की कोशिश करने के लिए, लक्ष्य को पूरा करने के लिए विकसित किया गया था, जैसे कि विकसित होने की अवस्था में विकसित होने की अवस्था में होने की अवस्था में होने की अवस्था में। सफल व्यक्ति के प्रयास में, सफल कोशिशें, जो निष्क्रियता की कोशिश करने में सहायक हों।
ये कोशिश करते हैं कोशिश करते हैं। विविध प्रकार की बीमारियों के लिए, विविध प्रकार के लेन-देन के प्रकार या विविध प्रकार के होते हैं जो सर्वथायेयता की व्यवस्था के लिए होते हैं। जीवन दर्शन ने भी दर्शन को जीवन में बदल दिया है और जीवन में अभ्यास किया है। जीवन इस एक जीवन है। जीवन और साधना का रिश्तेदार अन्योन्याश्रित है। एतदर्थ जीवन पोषण है और आहार जीवन, एक एक के पूरक है, चिह्न और स्वयं एक से अविच्छिन्न हैं।
जीवन में ये मुख्य रूप से शक्तिशाली होता है।
कर्म करना
कर्म साधना में कर्म की प्रधानता संस्कार में संस्कार डालने का प्रयास भर है। को सर्वस्व मान कर कर्मकाण्ड को मुक्ति मिली।
ज्ञान साधना
ज्ञान प्रबंधन में ज्ञान की कमी वाले लोग ज्ञान के माध्यम से कंप्यूटर की जानकारी रखते हैं।
योग देना
योग का वैज्ञानिक स्वयं को परम तत्व में मिलाते हैं। योग साधक विलगाव को योग योग तादात्मय का प्रयास है।
भक्ति साधना
धाकड़ काम धंधे में शामिल है, ट्रस्टी, प्रेम और निश्छलता, शुद्ध वता के साथ सदाचार, सत्याचरण आदि। निराकार या साकार के अपास्कों की धुलाई दोष दोषयुक्त है।
️ अधिकतर️️️️️️️️️️️️ है है तब से हैं भविष्य में जीवन में ही मुख्य है, जीवन की साधना भी।
परिवार के जीवन में जीवन की गुणवत्ता है, परिवार के जीवन के लिए सुविधाएँ हैं, जो जीवन के लिए बेहतर हैं, कर्म को एक का व्यक्तिगत अंग या स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं या अनासक्त भाव के साथ संलग्न अनुलग्नक भी शामिल हैं।
️ कर्म️ साधना️ साधना️️️️️️️️️️️️️️
सस्नेह
शोभा श्रीमाली
प्राप्त करना अनिवार्य है गुरु दीक्षा किसी भी साधना को करने या किसी अन्य दीक्षा लेने से पहले पूज्य गुरुदेव से। कृपया संपर्क करें कैलाश सिद्धाश्रम, जोधपुर पूज्य गुरुदेव के मार्गदर्शन से संपन्न कर सकते हैं - ईमेल , Whatsapp, फ़ोन or सन्देश भेजे अभिषेक-ऊर्जावान और मंत्र-पवित्र साधना सामग्री और आगे मार्गदर्शन प्राप्त करने के लिए,