अध्यात्म के प्रसंग में विद्या का अर्थ है, वह ज्ञान जिससे मोक्ष प्राप्त हो। सा विद्या या विमुक्तिये अर्थात विद्या वह है, जो जीवन-मरण से छुटकारा दे।
व्यक्ति का बोधवान जीवन की प्रथम स्थिति होती है और इसी कारणवश ज्ञान की महिमा को सर्वोच्च रूप से स्वीकार किया जाता है। जहां जीवन में ज्ञान का प्रश्न आता है, वहां सदा सर्वदा से भगवती गंगा स्वरूप में पूजा-साधना करने की घोषणा की जा रही है। गंगा जिस तरह से शुद्ध व पवित्रमय क्रियाशील है। ठीक उसी तरह से जीवन भी निरंतर क्रियाशील युक्त सचेत बने रहें।
आधुनिक युग में लड़कों की शिक्षा को ही विद्या कहा गया है और सरस्वती की साधना केवल बालक छात्रों के लिए ही उपयोगी बताई गई है, निरन्तर गंगा के लिए जागृत रहो जागरूक ज्ञान शक्ति के माध्यम से जीवन को जीवन जाग्रत चैतन्य बनाएं। इसलिए गृहस्थ जीवन को महाकुंभमय शक्ति प्रदायक अविरल प्रवाह युक्त निर्मित करने के लिए इस माघी मास में उक्त ग्रंथ धारण करने से मनुष्य के जीवन में सर्वगुणों से परिपूर्णता होती है। इसे धारण करने से व्यक्ति कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी घबराता नहीं है। भगवती गंगा शिव स्वरूपा है और ये व्यक्ति अपना स्वयं का स्वामी बनाता है। इस ग्रंथ को धारण करने वाला व्यक्ति आध्यात्मिक, भौतिक, लौकिक सभी प्रकार के व्यवहार और ज्ञान से परिपूर्ण होता है।
प्राप्त करना अनिवार्य है गुरु दीक्षा किसी भी साधना को करने या किसी अन्य दीक्षा लेने से पहले पूज्य गुरुदेव से। कृपया संपर्क करें कैलाश सिद्धाश्रम, जोधपुर पूज्य गुरुदेव के मार्गदर्शन से संपन्न कर सकते हैं - ईमेल , Whatsapp, फ़ोन or सन्देश भेजे अभिषेक-ऊर्जावान और मंत्र-पवित्र साधना सामग्री और आगे मार्गदर्शन प्राप्त करने के लिए,