मोती रत्न चन्द्रमा की शांति एवम चन्द्रमा को बलवान बनाने के लिए धारण किया जाता है। किसी व्यक्ति की कुंडली में चंद्र दुर्बल हो तो उस व्यक्ति को मोती धारण करना चाहिए। चन्द्रमा के बलिष्ठ होने पर व्यक्ति को राज कृपा होती है, सभी कार्यों में उसे सफलता मिलती है, मन हर्षित रहता है।
पर्ल को चांदी की अंगूठी या लॉकेट में बना कर शुक्ल पक्ष के सोमवार की रात को धारण करना इसके बाद ।। ॐ चं चन्द्राय नमः।। मंत्र का 51 बार जप करना चाहिए।
मेष, कर्क, स्कॉर्पियो और मीन लग्न के लिए पर्ल धारण करना ज्यादा फायदा होता है। इसे धारण करने से मन में सकारात्मक विचार उत्पन्न होते हैं।
ज्योतिष शास्त्र में चन्द्रमा को ब्रह्मांड का मन कहा गया है, मोती धारण करने से विभिन्न प्रकार के चिन्तकों से मुक्ति मिलती है साथ ही विचार में स्थिरता का भाव आता है।
मोती धारण करने से माता लक्ष्मी का आशीर्वाद व देवी होती लक्ष्मी का आगमन घर में विशेष रूप से होता है जिससे उनका कार्य, व्यापार, नौकारी में सफलता प्राप्त होती है।
रविवार की दुर्घटना में चन्द्रमा कमजोर हो जाता है तो उसे सबल बनाने में बहुत मदद मिलती है। जिससे सभी जीवन में पात्रता प्राप्त होती है।
इसके अलावा मोती कई प्रकार के सम्मिलन में भी सहायक है, जैसे अनिद्रा, मधुमेह, सिर दर्द, ब्लड प्रेशर आदि को नियंत्रित करने में मदद करता है।
मोती धारण करने से जीवन में शारीरिक शक्ति की वृद्धि के साथ ही अनुरुप जीवन को भी सौंदर्य प्रदान करता है।
यदि जुड़वाँ चक्कर में चंद्र अशुभ प्रभाव होता है, तो बालरिष्ठ योग का निर्माण होता है, खिंचाव का स्वास्थ्य बार-बार खराब होता है, जिससे परेशानियां होती हैं, इसीलिये छोटे बच्चों के गले में मोती अनिवार्य धारणा लगती है।
पर्ल धारण करने से विशेष रूप से मंगल दोष भी शांत हो जाता है, साथ ही विदेश यात्राओं पर जाने के मार्ग भी खुल जाते हैं।
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