हमारे किसी भी कार्य से हमारे माता-पिता रूष्ट हो या सहमति न हो तो वो कार्य पूर्ण नहीं हो पाते या उस कार्य को करने में हमें बहुत से कठिन लोगों का सामना करना पड़ता है, क्योंकि उस कार्य में हमारे माता-पिता, पितरों की स्वीकृति नहीं होती। भारतीय संस्कृति में पितरों को देव तुल्य माना जाता है। और हमारे हर पूजन में देवो से पूर्व पितरों की पूजा का विधान है।
हमारे पितृ अगर तय नहीं है, रूष्ट है या उन्हें तृप्ति नहीं मिली है तो हमें अपने जीवन में कई मुश्किलें उठानी पड़ती हैं। ये लोगो में एक भ्रम होता है कि अगर मेरी कुंडली में पितृ दोष या पितृ ऋण नहीं है, तो हमें उसका प्रभाव नहीं होगा, किसी को भी पितृ दोष उसके कर्मो के फलीभूत भोगना होता है और सही रूप में उसका संबंध नहीं होता है, तो ये दोष उसके आने वाली पीढ़ी को भी फॉलो करता है।
जिस प्रकार सद्गुरुदेव के शरीर त्याग करने के उपरान्त भी हमें उनका आशीर्वाद-चेतना शक्ति प्राप्त होती है, उसी प्रकार हमारे परिवार के बड़ो के शरीरान्त के बाद भी उनका आशीर्वाद हमें मिलता है, हम अपने पितृ के सद्कार्य से कृतज्ञ होते हैं, व साथ ही साथ जाने अनजाने में हुयी मानव भूल कि क्षमा प्रार्थना के लिए हम हर साल पितृ पूजा या श्राद्ध सिद्धि करते हैं।
पितृ पूजा आम पूजा पाठ से बिलकुल भिन्न होती है क्योंकि यह मृत पूर्वजो की पूजा होती है और इसे पूर्ण विश्ववत व मंत्र के साथ अनिवार्य रूप से जाना जाता है, पितृपक्ष के 16 दिन में विधिवत पूजन से हम अपने आने वाले वर्ष की स्थिति को देखते हैं पूर्व में ही समाप्त कर सकता है और इस पूजन को पूर्ण कर हमें संतोष व आत्म शांति की प्राप्ति होती है। साथ ही जो काम कई वर्षों से पूरा नहीं हो पाता है या रूके भूल जाते हैं वे भी पितृ कृपा से पूर्ण होते हैं। यह पूजन हर व्यक्ति के लिए भिन्न होता है और यह सामुहिक रूप में नहीं होता है, क्योंकि हर परिवार कुल के पितरों का नाम, गोत्र, कुल अलग-अलग होता है, व पितृ रूपी समस्या भी भिन्न होती है, जो आप सिर्फ अपने गुरु या ईष्ट को बता सकते हैं। इस पितृ पक्ष 2 सितंबर से 17 सितंबर को कैलाश सिद्धाश्रम में विशिष्ट मंत्रों के साथ विस्तृत रूप में व विधिवत रूप से पितृ शांति पूजा, साधना का स्थान होगा।
जिसमें आप सभी शामिल हैं अपने जीवन के कश्तों का अंत कर सकते हैं और अपनी अगली पीढ़ी को भी इस ऋण से मुक्त कर सकते हैं। पितृ दोष बाधा मुक्ति दीक्षा व पूजन सिद्धि करने के लिए आप उक्त जानकारी कैलाश सिद्धाश्रम जोधपुर में भेजे गए हैं।
अपना नाम, पिता का नाम, गोत्र, पितृ की मृत्यु तिथी या दिनांकित, पितृ का नाम व उससे संबंधित। इस पूजन के उपरान्त आप जीवन की सभी बाधाओं का निवारण एवं ऐश्वर्य पूर्ण स्थितियो का निर्माण करेंगे।
अपना
नवीन श्रीमाली
प्राप्त करना अनिवार्य है गुरु दीक्षा किसी भी साधना को करने या किसी अन्य दीक्षा लेने से पहले पूज्य गुरुदेव से। कृपया संपर्क करें कैलाश सिद्धाश्रम, जोधपुर पूज्य गुरुदेव के मार्गदर्शन से संपन्न कर सकते हैं - ईमेल , Whatsapp, फ़ोन or सन्देश भेजे अभिषेक-ऊर्जावान और मंत्र-पवित्र साधना सामग्री और आगे मार्गदर्शन प्राप्त करने के लिए,