एक समय ऐसा था जब तंत्र पूरी दुनिया में सर्वोपरी था महाभारत का पूरा युद्ध तंत्र के माध्यम से ही लड़ा गया, भगवान श्री कृष्ण को उस समय भी 'जगद्गुरु' और 'सर्वश्रेष्ठ तांत्रिक' कहा गया, रावण ने तंत्र के माध्यम से ही समस्त विज्ञान और प्रकृति को अपनी अक्षमता से बनाए रखा था, महाभारत युद्ध में दुर्योधन, द्रोणाचार्य, भीष्म पितामह और पांडवों ने संपूर्ण दृष्टिकोण रचना तंत्र के आकार से की, और तांत्रिक शक्तियों के प्रयोग से अपनी हार को भी विजय में परिवर्तित कर दिया, गुरू गोरखनाथ और शंकराचार्य तक यह तंत्र-क्रिया अपनी पूर्णतया गति के साथ चलती थी, पर वह समय तंत्र का सर्वोच्च बिंदु था और फिर धीरे-धीरे तंत्र नीचे गिरा और नीचे गिरा हुआ विज्ञान ऊपर की ओर उठने लगा।
पिछले 2500 वर्षों से निरन्तर विज्ञान ऊपर की ओर उत्पन्न हुआ 1914 में चकबंदी हुई प्रथम विश्व युद्ध विज्ञान द्वारा ही लड़ी गई, दूसरे विश्व युद्ध तक विज्ञान तेजी के साथ ऊपर की ओर उठी और तंत्र नीचे की ओर खिसका, वर्तमान समय में विज्ञान अपने अंतिम बिंदु को छू रहा है, पर मैंने देखा है कि पिछले पन्द्रह वर्षों से तंत्र ऊपर उठ रहा है और विज्ञान के प्रति लोगों की आस्था कम होने लगी है, रूस, अमेरिका, इंग्लैंड, जर्मनी और जापान आदि देश भी इस बात को अनुभव करने लगे कि के माध्यम से तो संपूर्ण संसार का सर्वनाश निश्चित है, इसकी वृत्ति तो यदि पुनः विज्ञान का सहयोग लिया जाए तभी यह संसार सर्वनाश से बचा सकता है, तंत्र के माध्यम से ही जीवन में पूर्णता और सफलता आत्मिक सांत्वना और ब्रह्मत्व का अनुभव हो सकता है, जापान के प्रसिद्ध वैज्ञानिक हिरोयाता ने पिछले विज्ञान कान्फ्रेंस में स्पष्ट रूप से चेतावनी देते हुए कहा था कि 'यदि हम अपनी आगे की पीढ़ी को बचाना चाहते हैं तो यह तंत्र के द्वारा ही संभव है, यदि हम शिकायत करते हैं पुष्प हरी-भरी प्रकृति और विश्व सौन्दर्य को अक्षरण बनाए रखें च आहते है तो यह तंत्र के माध्यम से ही संभव है, तंत्र ही हमें जीवन में सभी दृष्टियों से पूर्ण प्रदान कर सकता है।
रूस के प्रसिद्ध वैज्ञानिक इवानोव ने तंत्र की व्याख्या करते हुए कहा है, कि यह चमत्कारी घिनौनी, चमत्कार या हाथ की सफाई नहीं है, यह तो आपके शरीर की शक्तियों को पूर्ण रूप से प्रदान करने की क्रिया है, मानव शरीर में शाश्वत अनुमान है, विशिष्ट शक्तियां हैं , हम इन शक्तियों में से केवल एक प्रतिशत से ही परिचित हो सकते हैं, इन शक्तियों को उजागर करना और उनके माध्यम से पूर्णता प्राप्त करना ही तंत्र है।
अमेरिका के प्रसिद्ध वैज्ञानिक और विज्ञान अकादमी के अध्यक्ष मि जे वी ब्रेवे ने अकादमी के अध्यक्ष पद से शिकायत करते हुए कहा कि 'अभी तक विज्ञान में परमाणु परमाणु बम या जो कार्य करता है, उन सभी का सामना तंत्र के माध्यम से होता है। कर सकते हैं, जब शरीर की आन्तरिक शक्ति और ऊर्जा का टकराव 'मंत्र' से करते हैं, तो इन दोनों की टकराहट से 'प्राण-ऊर्जा' पैदा होती है, जिसकी चिंगारी भी हजारों-हजार परमाणु बम से भयानक होती है, यह प्राण ऊर्जा कोकर गति देना और इसका उपयोग करना तथा इसके माध्यम से विश्व को सुख, सौन्दर्य और पूर्ण देना ही तंत्र है।
इंग्लैण्ड के वैज्ञानिक ब्रिजलाव ने विज्ञान संस्थान के अध्यक्षीय पद से कहा कि इस समय पूरी दुनिया युद्ध की दृष्टांत पर बैठी है, कभी भूल वश भी एक छोटी सी चीनारी लग गई तो कुछ ही शब्दों में यह सारा विश्व समाप्त हो जाएगा, न सभ्यता जीवित है और न हमारी संस्कृति, न हमारी वैज्ञानिक उपलब्धि और न जीवन का सौन्दर्य ही, जो कुछ हम विज्ञान के माध्यम से प्रगति कर रहे हैं, अधिक प्रगति तो तंत्र के माध्यम से संभव है, जो कुछ हम अब तक प्रगति की है, वह तंत्र से पहले ही नज़रअंदाज कर देता है, विज्ञान जहाँ विनाश पथ की ओर चिन्हित करता है, वहीं तंत्र सटीक और गौरवपूर्ण पथ पर प्रकाश डालता है, आने वाले समय तक तंत्र ही समर्पित रहेगा।
इन सभी उच्चकोटि के वैज्ञानिकों की धारणा के पीछे बुनियादी तथ्य हैं, उन्होंने तंत्र के अलग-अलग पहलुओं को बढ़ावा दिया है, परखा है, देखा है और अनुभव किया है कि तंत्र के माध्यम से वह सब कुछ प्राप्त कर सकते हैं, जो विज्ञान के प्राप्त हो रहा है, 21वीं शताब्दी पूर्ण रूप से तंत्र को ही समर्पित होगा और इसी तरह संपूर्ण विश्व 1 मार्च को 'तंत्र दिवस' के रूप में मनाया जा रहा है, और 24 फरवरी से 1 मार्च तक के समय को 'तंत्र सप्ताह' मान कर तंत्र के क्षेत्र में नई उपलब्धियां, नई खोज प्राप्त कर रहा है।
मानव शरीर में तीन विशेष शक्तियाँ हैं और इन तीनों का परस्पर सम्बन्ध एक ही पूर्ण प्रदान कर सकता है, अन्तःकरण की भाव शक्ति का यन्त्र से, मनःशक्ति का तंत्र से और प्राण शक्ति का मन्त्र से संबंध होता है, इन तीनों के परस्पर संबंध से शरीर में बाहरी और आंतरिक दोनों शरीरों में आपस में जुड़ा हुआ चार्जर होता है और इससे घरेलू और धारावाहिक दोनों ही प्रकार की विद्युतीय उत्पाद है, घरेलू विद्युत का उत्पादन शरीर करता है और धारावाही विद्युत का उत्पादन मस्तिष्क, वैज्ञानिकों के अनुसार मंत्र दीक्षा में इन दोनों प्रकार की बिजली का समवेत-गुणित प्रयोग होता है, जिसका असंभव कार्य संभव हो जाता है, जिनको आज चमत्कार कहता है, वह तो केवल मानव शरीर में स्थित इन दोनों प्रकार की बिजली का समवेत-गुणित प्रतिफल है।
जब हम तंत्र को समझने की कोशिश करते हैं तो मंत्र और यंत्र को अलग नहीं रखा जा सकता है, उपकरण के लिए तो सामग्री प्रत्याशित है, उनकी व्यवस्था करना और उनका उपयोग करना 'यन्त्र' है, उपकरण को सरल तरीके से संचालित करना 'तंत्र ' है, और निहित शब्दों का उच्चारण करना 'मंत्र' है, इस प्रकार उस विशेष प्रकार के मंत्रों का उच्चारण-प्रभाव सामग्री पर पड़ता है और जो प्राण विद्युत विद्युत प्रवाहित होती है, वह मनोवांछित कार्य सिद्धि में सहायक होती है।
1 प्राण शक्ति- जिसके द्वारा साधक अपने शरीर में से सूक्ष्म जीवों को अलग से रूप दे कर उसके माध्यम से पूरी दुनिया में कहीं भी विचरण करना और फिर से शरीर में लीन कर देना।
2 आत्म शक्ति- जिसके माध्यम से शरीर पर स्थित चक्रों को जाग्रत करते हैं, दूसरे के मन की बात को जान लेते हैं स्वयं के या किसी के भी आगे के वर्षों में होने वाली सभी घटनाओं को पहचान लेते हैं और उनके जीवन में जो घटनाये घटित हो जाती है, उनकी तस्वीर की जैसे देख लेना और समझ लेना।
3 सम्मोहन शक्ति- जिसके माध्यम से किसी भी पुरुष या स्त्री को पूर्ण रूप से सम्मोहित कर देना और उसके विचार को उनकी भावनाओं को अपने अनुकूल बना लेना, फोटो या चित्र के द्वारा भी इस क्षेत्र में सफलता प्राप्त कर लेना।
4 आकाश गमन शक्ति- जिसके द्वारा आपके प्राणों को परवर्तित कर सूक्ष्म प्राण से वायु वेग से किसी भी स्थान पर जाना और अपने मूल शरीर में लौटना।
5 सौन्दर्य शक्ति- हिरण्य गर्भ क्रिया से अपने प्राणों में विशेष प्रकार की ऊर्जा का संचयन करना और उसके द्वारा असौन्दर्य को सौन्दर्य में परिवर्तित कर देना।
6 मनः शक्ति- जिसके द्वारा मन को सूक्ष्म आकार दे कर पूरे ब्रह्माण्ड में फैला देना और हजारों मील दूर बैठे हुए व्यक्ति को समाचार देना या संवाद प्राप्त करना तथा उसके मानस को अपने अनुकूल बना लेना।
7 ज्वलन शक्ति- जिसकी आंखों से सूर्य से करोड़ों आरोप तेज बिजली की संपत्ति कर रहे हैं, उसे भी फैलाना या वायुयान को नीचे इशारा के लिए बाध्य कर देना या श्राप या वरदान देने की क्षमता प्राप्त कर सकते हैं।
इस तंत्र सप्ताह में इन सात प्रकारों की शक्तियों को प्राप्त करने के लिए प्रयास और प्रयोग की अधिसूचना जारी की जा सकती है, हो सकता है कि पहली या दूसरी बार में सफलता मिले या न मिले, विश्व के अन्य उन्नत देशों ने भी कई वर्षों तक गंभीरता से काम किया इन क्षेत्रों तक प्रयास और प्रयोग करते हैं और फिर जाकर उन्हें सफलता मिलती है, पर जो सफलता मिलती है, वह अपने आप में अनूठा है, यकीन वे 'प्रयोग' नाम से सम्बोधित करते हैं, भारत वर्ष में उन्हें 'साधना' कहा जाता है यदि साधक निरन्तर इस प्रकार की शक्तियों को प्राप्त करने के लिए प्रयासशील हो तो निश्चय ही उन्हें सफलता मिल सकती है।
संपूर्ण विश्व इस समय एक संक्रमण काल से गुजर रहा है, संपूर्ण विश्व एक नयां करवट ले रहा है, विश्व के वैज्ञानिक गम्भीरता तेजी से तंत्रों का प्रयोग और उपयोग करने के लिए प्रयासशील हैं और इससे उन्हें अभी तक जो सफलता मिली है, उससे वे आश्चर्यचकित हैं- प्रोजेक्टर इन प्रयोगों(या साधनों) से प्राप्त सफलताओं को देखकर ये वैज्ञानिक आश्चर्य चकित हो गए हैं, इन शक्तियों की संभावनाएं और उपलब्धियां अनुभव कर वे रोमांच अनुभव कर रहे हैं, उन्हें यह विश्वास होने लगा है कि बिना कुछ भी नहीं बहुत कुछ किया जा सकता है, इस प्रकार की शक्तियों को प्राप्त करने से अभी तक किसी व्यक्ति को जो आंतरिक प्राणतत्व समझ से परे था, उसे समझने की कोशिश हो रही है, इससे रॉकेट प्रक्षेपों और बमों पर जो लाखों करोड़ डॉलर डॉलर हो रहे हैं , वे बचेंगे और उनका उपयोग मानव जाति को अधिक सुखी, सफल और संपन्न करने के लिए होगा।
भारत वर्ष को भी कहे कि वह से विश्व में होने वाले परिवर्तन का अनुभव करें, साधकों को अभी भी लग रहा है कि मार्च साधनात्मक है, वे पिछले कुछ वर्षों से प्रयास कर रहे हैं, उन्हें साधना या मंत्र या मंत्र या सिद्धि के बारे में ज्ञान है, आवश्यकता है है, पूर्ण विश्वास और धैर्य के साथ इस विज्ञान को समझने की, और बिना किसी आलोचना की परवाह किए इस क्षेत्र में प्रवृत्त होने की और निरन्तर इसके बारे में प्रयास करने की, तो बेशक वे इस क्षेत्र में श्रेष्ठता और सर्वोच्चता प्राप्त कर सकते हैं।
प्राप्त करना अनिवार्य है गुरु दीक्षा किसी भी साधना को करने या किसी अन्य दीक्षा लेने से पहले पूज्य गुरुदेव से। कृपया संपर्क करें कैलाश इद्धाश्रम, जोधपुर पूज्य गुरुदेव के मार्गदर्शन से संपन्न कर सकते हैं - ईमेल , Whatsapp, फ़ोन or सन्देश भेजे अभिषेक-ऊर्जावान और मंत्र-पवित्र साधना सामग्री और आगे मार्गदर्शन प्राप्त करने के लिए,