02 अप्रैल से भगवती जगदंबा के त्रिगुणात्मक स्वरूप में महालक्ष्मी, महासरस्वती से चैतन्यता को आत्मसात का महापर्व नववर्ष की चैत्रीय नवरात्रि। जो कि पुष्य योग दिवस राम अवतरण पर्व पर पूर्ण। इस तरह के शुभ योग से शुरू में त्रिशक्ति रूप में महामाया महाकाली, चंद्रहासिनी सितारा श्री शक्तिये रूप महालक्ष्मी की पूजा की दीक्षा रोग में इन सभी तरह की स्थिति में हैं। ही पूर्ण चैतन्य भाव से नववर्ष सर्वस्वरूप में सुमंगलारी भगवती सत्ता टीटी बन्वी।
चैत्र नवरात्र में जननी माँ भगवती का अवतरण पर्व 07-08 अप्रैल को छत्रसगढ़ के चन्द्रमा में चैतन्य है। अनेक सुयोगो से टाइट नववर्ष, चैत्रीय नवरात्रि, भगवती जन्म पर्व माता श्रीराम के अवतरण पर्व सद्गुरू परिवार के सानिध्य में जैसे होंगे। ऐसे दिव्य सुयोगाइट महापर्व पर सद्गुरू देवता कैलास श्रीमाली जी साधकों के गृहस्थ जीवन में नवदुर्गा की चेतना से त्रिशक्ति रूप में महामाया जो शत्रु संहार में सहायक है, चन्द्रहासिनी जीवन को शीतलता का रूप ऊर्जा व नारायण भगवती श्रीशक्ति महालक्ष्मी कार्य, संतान भगवती श्रीशक्ति महालक्ष्मी कार्य, संतान सुख सुख , सावित्री सौभाग्य, आयु वृद्धि तौत ऋत्वऋण.
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