साधक का अर्थ ही यही है, कि उसके जीवन में पराजय जैसा कोई शब्द ही नहीं हो। पूर्ण रूप से अपराजित व्यक्ति वही कहा जा सकता है, जिसकी यदि हार हो तो वह गुरु के सामने हो और कहीं नहीं हो और सावित्री और सत्यवान को यही वरदान प्राप्त था, कि उसकी पराजय हो ही नहीं सकती, यमराज को भी पराजय का मुंह देखना पड़ा। यही जीवन का सौभाग्य ही था। परन्तु आजीवन वह पूर्ण सम्मान के साथ जिया, हर संकल्प में विजयी हुआ, जो भी चाहा वह किया, हर जगह सफलता प्राप्त की।
ऐसा ही हो सके, कि साधक को अपने प्रत्येक कार्य में सफलता मिले, विजय मिले चाहे वह शत्रु हो, चाहे वह कोई मुकदमा हो, चाहे वह कोई प्रतियोगी परीक्षा हो, चाहे वह कोई व्यापारिक अनुबंध हो, कोई लक्ष्य या संकल्प हो, सफलता मिले ही, विजय मिले ही इसी का नाम है सौभाग्य सावित्री दीक्षा। अत: यह दीक्षा साधक तंत्र बाधाओं के निवारण हेतु ग्रहण कर सकते हैं और साथ ही अविवाहित कन्या के शीघ्र विवाह के लिये यह दीक्षा परम आवश्यक है।
प्राप्त करना अनिवार्य है गुरु दीक्षा किसी भी साधना को करने या किसी अन्य दीक्षा लेने से पहले पूज्य गुरुदेव से। कृपया संपर्क करें कैलाश सिद्धाश्रम, जोधपुर पूज्य गुरुदेव के मार्गदर्शन से संपन्न कर सकते हैं - ईमेल , Whatsapp, फ़ोन or सन्देश भेजे अभिषेक-ऊर्जावान और मंत्र-पवित्र साधना सामग्री और आगे मार्गदर्शन प्राप्त करने के लिए,
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