-गीता हमें धर्म को अनुसरण करें करने का संकल्पना सीखाती है। इससे हम यह सीख ले सकते हैं कि हमें अपने धर्म की, अपनी जिम्मेदारियां की हमेशा पालन करनी हैं, उनसे भागना नहीं है। माता-पिता का सम्मान, गुरू का सम्मान, सच बोलना है, मन लगाकर पढ़ाई करनी है, आदि कुछ जिम्मेदारियाँ है, जिनकी हमें पालना करनी है।
– भगवान कृष्ण ने गीता में अपनी कला-कौशल को सुधारने में लगे रहना सीखाया है, ठीक वैसे ही हमें भी हमेशा अपनी कौशल को और ज्यादा सुधार करना करने के लिये निरंतर प्रयास करते रहना है।
– हमें अपना मानसिक शांति का भी हमेशा ध्यान रखना है, जैसे स्कूल के साथ में यदि टीचर हमें डांट दे या किसी दोस्त से कहा सुनी हो जाये तो इसे ज्यादा लंबा नहीं खींचना है, इसे सकारात्मक टिप्पणी पर लेते हुये आंतरिक शांति का ध्यान रखते हुये भूल जाना है और भविष्य में ऐसा न हो इसकी सीख लेनी है।
– हमें सभी प्राणियों के प्रति सदभावना की अभ्यास करनी है, जानवरों-पक्षियों को नहीं सताना है, प्रकृति , पेड़-पौधों को नुकसान नहीं पहुँचाना है, माता-पिता, टीचर को सम्मान करना है।
– हमेशा सच बोलना है, सच्चाई का साथ देना है, जीवन में कोई तनाव या मुसीबत हो तो बड़ों से साझा करें करना, अच्छे से संवाद करना है।
– नजर या फोकस हमेशा अपने लक्ष्य पर रखना है, यक़ीन करो को distractions से दूर रखना है। पढ़ाई के समय सिर्फ पढ़ाई, मोबाइल, टैबलेट, गेम्स आदि की लत नहीं लगानी है।
– दुःख सदा नहीं रहता, सुख-दुःख आते-जाते रहते है, हमें सदा चलते रहना है जीवन के लक्ष्यों की ओर।
इनके अलावा और भी बहुत सारे शिक्षाओं और पाठ है भगवद गीता में जिन्हें अनुसरण करें कर हम सफल और अर्थपूर्ण जीवन जी सकते है।
प्राप्त करना अनिवार्य है गुरु दीक्षा किसी भी साधना को करने या किसी अन्य दीक्षा लेने से पहले पूज्य गुरुदेव से। कृपया संपर्क करें कैलाश सिद्धाश्रम, जोधपुर पूज्य गुरुदेव के मार्गदर्शन से संपन्न कर सकते हैं - ईमेल , Whatsapp, फ़ोन or सन्देश भेजे अभिषेक-ऊर्जावान और मंत्र-पवित्र साधना सामग्री और आगे मार्गदर्शन प्राप्त करने के लिए,
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