धन की इच्छा, आकांक्षा किसे नहीं होती, चाहे वह गृहस्थ हो अथवा योगी। सभी का जीवन धन से ही संचालित होता है। धन का मूल स्वरूप ऋद्धि-सिद्धि तो गणपति की भार्यायें हैं। भगवान श्री गणेश को देवगणों के अधिपति, बुद्धि के अधिष्ठाता देव, अपने बुद्धि वैभव से सर्वत्र सम्मानित, धन बल एवं श्रेष्ठ विद्याओं के दाता, मंगलमूर्ति, सभी विघ्नों को दूर करने वाले, सर्वत्र विजयदाता, अपने भक्त को ब्रह्मत्त्व प्रदान करने वाले देव हैं। कोई भी व्यक्ति मात्र अपने प्रयत्नों से, अपनी प्रतिभा के द्वारा, अपनी बुद्धि के माध्यम से किसी भी कार्य को पूर्णरूप व श्रेष्ठता नहीं दे पाता, प्रत्येक व्यक्ति की प्रतिभा और बुद्धि की एक सीमा अवश्य होती है, इस सीमा से आगे वह नहीं दौड़ पाता, क्योंकि विभिन्न प्रकार की बाधाएं उसकी बुद्धि का विकास एवं कार्य की सफलता को रोक देती हैं।
मनुष्य जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिये जिन गुणों की आवश्यकता होती है, उन्हें भगवान गणेश की चेतना को आत्मसात करने से ही प्राप्त किया जा सकता है। सांसारिक मनुष्य के लिये गणेशोत्सव का पर्व आशीर्वाद स्वरूप हैं, अतः इन दस दिवसों में उक्त सुभावों को प्राप्त करने हेतु दीक्षायें ग्रहण कर व्यक्ति तीव्र बुद्धि, वाक्चातुर्य एवं मेधा शक्ति प्राप्त करता है, वहीं उसे हर कार्य में सफलता मिलती है। जीवन में विघ्न-बाधाओं का नाश होता है और यश, धन, ऐश्वर्य, मान-सम्मान युक्त ऋद्धि-सिद्धि शुभलाभमय चेतना का विस्तार होता है।
प्राप्त करना अनिवार्य है गुरु दीक्षा किसी भी साधना को करने या किसी अन्य दीक्षा लेने से पहले पूज्य गुरुदेव से। कृपया संपर्क करें कैलाश सिद्धाश्रम, जोधपुर पूज्य गुरुदेव के मार्गदर्शन से संपन्न कर सकते हैं - ईमेल , Whatsapp, फ़ोन or सन्देश भेजे अभिषेक-ऊर्जावान और मंत्र-पवित्र साधना सामग्री और आगे मार्गदर्शन प्राप्त करने के लिए,
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