जो भी हो हमारे जीवन में जो भी अच्छा या बुरा घटित होता है वह हमारे ही कर्मों का परिणाम होता है। हम अपने भौतिक जीवन में आध्यात्मिक प्रथाओं की दर्दनाक विफलताओं से हतोत्साहित होते हैं। यह सांसारिक जीवन सुख और दुःख के बीच बदलता रहता है। विपरीत परिस्थितियों का सामना करने पर सामान्य व्यक्ति अपना उत्साह खो देता है और उसे जीवन बोझ लगने लगता है। हम पूरी तरह से हारा हुआ महसूस करते हैं और ऐसी स्थितियों को हल करने के लिए कई तरह के कदम उठाने की कोशिश करते हैं। हम इन कष्टों के कारण अपने आस-पास दूसरों को नुकसान पहुंचाते रहते हैं, जिसके परिणामस्वरूप यह दर्द कम होने के बजाय और बढ़ जाता है।
यदि हम इस भौतिक संसार में अपना भला चाहते हैं तो सबसे पहले हमें दूसरों का भला करना होगा। ख़ुशी का आनंद लेने के लिए हमें सबसे पहले किसी की ख़ुशी का कारण बनना होगा। यदि हम स्वयं ही अपने मन में नकारात्मक विचार भरेंगे तो हम कैसे कुछ अच्छा सोच या कर पाएंगे। हमें अपने अंदर से नकारात्मक भावना को दूर कर ज्ञान की ज्योति जलानी होगी।
एक व्यवसाय के मालिक को मुनाफा कमाने के लिए उत्कृष्ट सामान और सेवाएँ प्रदान करनी होती हैं, उसी प्रकार, हमें उनका सहयोग प्राप्त करने के लिए परिवार के सदस्यों का सम्मान और सेवा करनी होती है। इससे ही व्यवसाय या परिवार को सफल बनाया जा सकता है।
गुरु कभी नहीं चाहते कि उनका शिष्य-साधक अपने बुरे कर्मों का दुष्परिणाम कई जन्मों तक भोगे, या नारकीय परिस्थितियों में अपना जीवन व्यतीत करे। गुरु दुःखों की समाप्ति और दुष्कर्मों के पश्चाताप की कामना करते हैं। वे एक सामान्य व्यक्ति को पूर्ण शिष्य-साधक बनाना चाहते हैं।
जीवन में सुख-दुख तो सदैव लगे रहेंगे, लेकिन गुरु का सानिध्य दुखों को शीघ्र समाप्त कर विपरीत परिस्थितियों से लड़ने की असीम शक्ति प्रदान करता है। साल के इस आखिरी महीने में आपके सभी दुख-दर्द दूर हो जाएं और आप सभी को नए साल में आने वाली सभी चुनौतियों से लड़ने के लिए जबरदस्त जोश और उत्साह मिले।
आने वाला वर्ष आप सभी के लिए नई आशा और खुशियों से भरा हो!
अपनी खुद की,
विनीत श्रीमाली